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हीमोफीलिया और वॉन विलेब्रांड रोग के लिए रैपिड डायग्नोस्टिक किट, आईसीएमआर-एनआईआईएच ने की तैयार


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नई दिल्ली: हीमोफीलिया और खून से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए रैपिड डायग्नोस्टिक किट तैयार की गई है। यह किट आईसीएमआर-एनआईआईएच ने तैयार की है। आईएमआर ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी है।

रैपिड डायग्नोस्टिक किट का उपयोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में किया जा सकता है। आईएमआर ने बताया कि किट को DCGI द्वारा अनुमोदित किया गया है। बड़े पैमाने पर इसके निर्माण के लिए प्रौद्योगिकी संस्थानों को इसकी अनुमति दी गई है। यह किट उन क्षेत्रों में रक्तस्राव विकारों के लिए बेहतर है जहां डायग्नोस्टिक सुविधाएं सीमित हैं।

दरअसल, हीमोफीलिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें खून का थक्का नहीं बनता। इस बीमारी से पीड़ित मरीज की ब्लीडिंग रुकती ही नहीं है। वैसे तो शरीर के किसी हिस्से में कटने पर कुछ देर में ब्लड का थक्का बन जाता है, जिससे ब्लीडिंग रुक जाती है, लेकिन हीमोफीलिया पीड़ित मामलों में ऐसा नहीं होता। इसलिए इस बीमारी का पता चलना जरूरी है। कई बार लोगों को पता ही नहीं होता है और वे इसके शिकार हो जाते हैं। ऐसे में ये किट लोगों के लिए लाभदायक होगी।

हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों के शरीर में नीले-नीले निशानों का बन जाते हैं।इसके अन्य लक्षणों में नाक से खून का बहना, आंख के अंदर खून का निकलना और जोड़ों की सूजन आदि हैं।

वॉन विलेब्रांड रोग एक आजीवन रक्तस्राव विकार है जिसमें आपका रक्त ठीक से नहीं जमता है। इस रोग से ग्रसित लोगों में वॉन विलेब्रांड कारक का स्तर कम होता है, एक प्रोटीन जो रक्त का थक्का बनाने में मदद करता है, या प्रोटीन वैसा प्रदर्शन नहीं करता जैसा उसे करना चाहिए।

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