नई दिल्ली – कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है. एक उच्च स्तरीय समिति ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत सैलरी लिमिट को बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. समिति ने कहा है कि सैलरी लिमिट को मौजूदा 15,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये प्रति माह कर दिया जाए. समिति का कहना है कि सरकार इस पर विचार कर रही है और इसे बैक डेट से लागू किया जा सकता है.
अगर ये प्रस्ताव लागू होता है तो लगभग 7.5 लाख अतिरिक्त श्रमिकों को फायदा होगा क्योंकि उन्हें भी इस योजना के दायरे में शामिल किया जाएगा और वेतन में वृद्धि के लिए भी समायोजित करेगा जैसा कि 2014 में अंतिम संशोधन किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘दि ईपीएफओ के न्यासी के केंद्रीय बोर्ड द्वारा इस सुझाव को स्वीकार कर लिया जाता है, तो यह उन नियोक्ताओं को राहत देगा, जो किसी भी अतिरिक्त वित्तीय बोझ को तुरंत उठाने के लिए अनिच्छुक हैं.’
दरअसल, नियोक्ताओं ने कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण बिगड़े बजट का हवाला देते हुए इस बढ़ोतरी की मांग की थी. अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो सरकारी खजाने को भी राहत मिलेगी, क्योंकि केंद्र सरकार वर्तमान में ईपीएफओ की कर्मचारी पेंशन योजना के लिए हर साल लगभग 6,750 करोड़ रुपये का भुगतान करती है. ईपीएफओ ग्राहकों के कुल मूल वेतन का 1.16 फीसदी योगदान करती है.
ईपीएफओ के न्यासियों के केंद्रीय बोर्ड में शामिल केई रघुनाथन ने कहा कि ईपीएफओ के भीतर एक आम सहमति है कि ईपीएफओ और ईएसआईसी दोनों के तहत सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए समान मानदंडों का पालन किया जाना चाहिए. दोनों योजनाओं के तहत मानदंडों में अंतर के कारण श्रमिकों को अपनी सामाजिक सुरक्षा के लाभों से वंचित नहीं रहना चाहिए.’