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राजनीतिक विश्लेषकों का दावा- युद्ध का माहौल भी नहीं संभाल पाया है जो बाइडन की गिरती लोकप्रियता को


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अमेरिका: अमेरिका में संसदीय चुनाव होने में अब तीन महीनों का ही वक्त रहा गया है, जबकि राष्ट्रपति जो बाइडन की लोकप्रियता में गिरावट लगातार जारी है। विभिन्न जनमत सर्वेक्षणों के औसत के आधार पर टीवी चैनल सीएनएन ने बताया है कि फिलहाल बाइडन की एप्रूवल रेटिंग सिर्फ 39 प्रतिशत है। यानी इतने ही मतदाता उनके कामकाज से खुश हैं। जबकि राष्ट्रपति के रूप में उनके प्रदर्शन से नाखुश मतदाताओं की संख्या 55 प्रतिशत तक पहुंच गई है। इस साल जनवरी के मध्य में बाइडन की एप्रूवल रेटिंग 41 प्रतिशत थी। यानी बीते तीन महीनों में इसमें दो प्रतिशत की और गिरावट आ गई है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बाइडन की लोकप्रियता के बारे में मिल रहे खराब संकेत डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए बुरी खबर है। उनके मुताबिक अगर इतिहास पर गौर करें, तो यह साफ हो जाता है कि मध्यावधि चुनावों में सत्ताधारी पार्टी का प्रदर्शन राष्ट्रपति की लोकप्रियता से सीधे तौर पर जुड़ा रहता है। अमेरिका में हर चार साल पर राष्ट्रपति का चुनाव होता है। संसदीय चुनाव हर दो साल पर होते हैँ। राष्ट्रपति के कार्यकाल की बीच अवधि में होने वाले इन चुनावों को मिडटर्म कहा जाता है।

सीएनएन के विश्लेषण में कहा गया है कि बाइडन को दो पूर्ववर्ती डेमोक्रेटिक राष्ट्रपतियों की मिडटर्म के समय जो लोकप्रियता थी, वर्तमान राष्ट्रपति की लोकप्रियता का स्तर उससे नीचे है। ये दोनों पूर्ववर्ती राष्ट्रपति बराक ओबामा और बिल क्लिंटन थे। विश्लेषकों के मुताबिक मध्यावधि चुनाव में वैसे भी सत्ताधारी पार्टी नुकसान में रहती है। अगर राष्ट्रपति की लोकप्रियता भी नीचे हो, तो अधिक बुरे नतीजों की आशंका रहती है।

बिल क्लिंटन और बराक ओबामा के समय भी मिडटर्म चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था। जबकि उन दोनों राष्ट्रपतियों की लोकप्रियता का स्तर जो बाइडन की मौजूदा लोकप्रियता से काफी ऊंचा था।

विश्लेषकों ने कहा है कि आम तौर पर युद्ध के माहौल का फायदा सत्ताधारी राष्ट्रपति को मिलता है। लेकिन यूक्रेन युद्ध के जारी माहौल के बावजूद जो बाइडन को उसका कोई सियासी फायदा मिलता नहीं दिखा है। इसकी वजह संभवतः देश में महंगाई का बेहद ऊंचा स्तर है। मार्च में मुद्रास्फीति की दर 8.5 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह पिछले 40 साल का रिकॉर्ड है। अब अमेरिका में कोरोना महामारी की नई लहर की आशंका जताई जा रही है। अगर ये लहर पिछली लहरों जैसी हुई, तो बाइडन प्रशासन को लेकर असंतोष और बढ़ सकता है।

ताजा जनमत सर्वेक्षणों से जाहिर हुआ है कि यूक्रेन संकट को जिस तरह बाइडन प्रशासन ने संभाला है, उसको लेकर अमेरिकी मतदाताओं का बहुमत खुश है। लेकिन महंगाई और कोरोना महामारी की नई आशंका अमेरिकी नागरिकों की प्रमुख चिंता हैं। इन मोर्चों पर बाइडन प्रशासन को नाकाम समझा जा रहा है।

सीएनएन ने कहा है कि बाइडन समर्थक मतदाताओं में उदासीनता घर कर गई है। ऐसे आशंका गहराती जा रही है कि नवंबर में होने वाले चुनाव के समय डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा वोट डालने ना आए। जबकि रिपब्लिकन पार्टी के डॉनल्ड ट्रंप समर्थक मतदाताओं में उत्साह देखा जा रहा है। चुनाव नतीजों को तय करने पर इस स्थिति का निर्णायक असर हो सकता है। अगर मिडटर्म चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी की हार हुई, तो उसके बाद जो बाइडन के लिए शासन करना और मुश्किल हो जाएगा। तब उनकी स्थिति लेम डक यानी लंगड़े बखक जैसे राष्ट्रपति की हो जाएगी।

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