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यूक्रेन को रूस की तबाही का यह सामान दे गए बोरिस जॉनसन, यूक्रेन को अब तक की सबसे बड़ी मदद


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यूक्रेन : दुनिया के पश्चिमी देशों खासकर यूरोपीय यूनियन से जुड़े देशों ने यूक्रेन की खुलकर मदद करनी शुरू कर दी है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रूस और यूक्रेन के युद्ध में तबाह हुए शहर कीव में एक बड़ी बैठक की। इस दौरान ब्रिटेन ने अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी ताकतों में से एक न्यूक्लियर सबमरीन यूक्रेन की सुरक्षा के लिए तैनात करने के आदेश दे दिए हैं। रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रिटेन की अपनी सबसे बड़ी सुरक्षा ताकतों में से एक न्यूक्लियर सबमरीन की तैनाती से यूक्रेन के हौसले रूस से लड़ने के लिए और मजबूत होंगे। इसके अलावा दुनिया के और भी कई देश यूक्रेन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। यही वजह है कि यूक्रेन ने रूस के सामने अब तक घुटने नहीं टेके हैं।
सुरक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि जिस तरीके से युद्ध प्रभावित देश यूक्रेन के कीव शहर में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने दौरा किया है उससे पूरी दुनिया में बहुत बड़ा संदेश गया है। खुफिया सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक जिस तरीके से यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की बैठक हुई है और बैठक में सुरक्षा देने की बातें की गई है, वह यूक्रेन को बहुत मजबूत कर गई। विदेशी मामलों के जानकार और काफी लंबे वक्त तक यूरोप के इसी युद्ध प्रभावित इलाके के कुछ देशों में खुफिया सेवाएं देने वाले वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि ब्रिटेन ने यूक्रेन की मदद के लिए अपनी सबसे बड़ी घातक न्यूक्लियर सबमरीन की तैनाती कर दी है। वो कहते हैं इसकी तैनाती के साथ ही यह संदेश भी दिया गया कि ब्रिटेन पूरी तरीके से यूक्रेन के साथ में है।

सूत्रों का कहना है कि जिस तरीके से ब्रिटेन ने अपनी न्यूक्लियर सबमरीन की तैनाती की है, इसी तरीके से दुनिया के कई यूरोपीय मुल्क अपनी परमाणु क्षमता वाले हथियारों की पहुंच यूक्रेन तक बना रहे हैं। उक्त अधिकारी का कहना है कि निश्चित तौर पर रूस के लिए यह एक कड़ा संदेश है। वो कहते हैं कि आज यूक्रेन जितनी ताकत के साथ रूस के साथ लड़ रहा है उसके पीछे सबसे बड़ी ताकत यूरोपीय यूनियन की ही है।

रूस और यूक्रेन के युद्ध को करीब से देखने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अभिषेक सिंह कहते हैं कि जिस तरीके से यूक्रेन, रूस के सामने अपनी बर्बाद हो रही अर्थव्यवस्था और रोज मर रहे सैनिकों और नागरिकों के बीच मजबूती से खड़ा है, उसके पीछे असली वजह यूरोपीय यूनियन के देशों की ताकत ही है। प्रोफेसर अभिषेक कहते हैं, यह बात अलग है कि यूरोपीय यूनियन के देशों के सेना यूक्रेन में तैनात नहीं हो सकी है लेकिन इन देशों ने वित्तीय मदद के साथ साथ हथियार और युद्ध के तमाम सैन्य सामान यूक्रेन को उपलब्ध कराए हैं जिससे वह रूस से लड़ने में बहुत मददगार साबित हो रहे हैं। वो कहते हैं सिर्फ ब्रिटेन ने ही नहीं बल्कि यूरोप के ज्यादातर देशों ने भारी संख्या में सैन्य उपकरण यूक्रेन को दिए हैं। यही वजह है कि यूक्रेन रूस से लगातार युद्ध में मजबूती के साथ बना हुआ है।

यूक्रेन को सिर्फ सैन्य मदद ही दुनिया के देश नहीं दे रहे हैं बल्कि आईएमएफ ने अब तक सबसे बड़ी मदद भी यूक्रेन को दी है। आंकड़ों के मुताबिक आईएमएफ ने यूक्रेन को 10758 करोड़ रुपये की इमरजेंसी फंडिंग देने की घोषणा की है। जबकि यूक्रेन को वर्ल्ड बैंक की ओर से लगभग 23000 करोड़ रुपये की मदद देने का आश्वासन दिया गया है है। विदेशी मामलों के जानकार और रूस यूक्रेन युद्ध पर बारीकी से नजर रखने वाले रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट कर्नल एके पुरी कहते हैं कि विदेशी फंड और दुनिया की अलग-अलग बैंकों की ओर से जारी किए जाने वाले फंड में कई तरह से इमरजेंसी फंड भी यूक्रेन को दिए जा रहे हैं।

आर्थिक मामलों के जानकार और एशिया पैसिफिक इकोनॉमिक चेंबर के पूर्व प्रेजिडेंट अरुण कुमार कहते हैं कि रूस और यूक्रेन के हमले के दौरान पूरी दुनिया को इकॉनमी शॉक लग रहा है। अरुण कुमार कहते हैं कि युद्ध की वजह से कमजोर पड़ रही अलग-अलग मुल्कों की अर्थव्यवस्थाओं को लेकर आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्तालिना ने भी इसके बाद ऐसी आशंका जाहिर की थी। अरुण कुमार कहते हैं कि युद्ध प्रभावित देश की मदद करने के लिए दुनिया की तमाम एजेंसियों के साथ साथ तमाम विकासशील और विकसित मुल्क हमेशा से आगे आते रहे हैं।

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