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नीति आयोग: कृषि सुधारों को महत्वपूर्ण बताया, कहा- कृषि कानूनों को रद्द करने से किसानों की आय दोगुनी करने को लगा झटका


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नई दिल्ली: नीति आयोग ने कृषि सुधारों को जरूरी बताते हुए कहा है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किए जाने से 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयास को झटका लगा है। सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने राज्यों के साथ नए सिरे से कृषि सुधारों के लिए विचार-विमर्श करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने पहले ही नीति आयोग से इन सुधारों को लागू करने की अपील की है।

रमेश चंद ने कहा, कृषि क्षेत्र के लिए सुधार बेहद जरूरी हैं। कुछ किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। मुझे लगता है कि इस पर तुरंत राज्यों के साथ परामर्श शुरू किया जाना चाहिए था। एक साक्षात्कार में चंद ने चार राज्यों में भाजपा की जीत के बाद देश की कृषि अर्थव्यवस्था के लिए इन अटके सुधारों पर फिर से जोर लगाने के सवाल पर कहा कि लोग कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए हमारे पास आ रहे हैं। लेकिन किस तरह, किस रूप में इसके लिए हमें थोड़ा इंतजार करना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस साल तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा था। इसी सिलसिले में तीन कृषि कानून लाए गए थे, लेकिन किसानों के जबर्दस्त विरोध के कारण सरकार ने एक दिसंबर, 2021 को तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया था।

यह पूछे जाने पर कि तीनों कृषि कानूनों को लागू किए बिना 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है? इस पर आयोग के सदस्य ने कहा कि काश्तकारों को फसल की बेहतर कीमत दिलाने में सक्षम बनाने के लिए कृषि सुधारों की जरूरत थी। इसलिए यदि सुधार नहीं हुए तो निश्चित रूप से 2022 तक इस लक्ष्य को हासिल करने को झटका लगेगा।

तीन फीसदी रह सकती है कृषि विकास दर
रमेश चंद ने कहा कि इस साल कृषि विकास दर करीब तीन फीसदी रह सकती है। उन्होंने कहा कि यदि मानसून और अन्य परिस्थितियां सामान्य रहीं, तो कृषि विकास दर में सुधार हो सकती है। महंगाई के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह सरकार के लिए हमेशा चिंता का कारण रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस पर कई कदम उठाए हैं। यदि वास्तविक कारणों से कमी होती है तो हम दालों और खाद्य तेलों का आयात बढ़ा सकते हैं। सब्जियों के दाम बढ़ने में कई बार मौसमी कारण भी जिम्मेदार होते हैं, इसलिए सब्जियों का आयात नहीं करेंगे।

फसल कटाई और बैसाखी उत्सव से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि और अन्य योजनाओं से देश के करोड़ों किसानों को नई मजबूती मिल रही है। प्रधानमंत्री ने रविवार को ट्वीट कर कहा, देश को अपने किसान भाई-बहनों पर गर्व है। यदि किसान मजबूत होंगे तो नया भारत और समृद्ध होगा। मुझे खुशी है कि किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि और अन्य योजनाओं से वह सशक्त बन रहे हैं। पीएम मोदी ने ट्वीट के साथ एक ग्राफिक भी साझा किया है, जिसके मुताबिक देश के 11.3 करोड़ किसानों को सीधे खाते में 1.82 करोड़ रुपये दिए गए हैं। योजना के मुताबिक केंद्र सरकार हर साल किसानों को 6000 रुपये की मदद देती है।

भाजपा ने सरकार के किसानों के हित में उठाये गए कदमों का उल्लेख करते हुए रविवार को कहा कि भारत के कृषि उत्पादों ने वैश्विक बाजरों में अपनी धाक जमाई है। भारतीय कृषि उत्पादों का निर्यात 20 फीसदी बढ़कर 51 अरब डॉलर (3.87 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच गया है। मीडियाकर्मियों से बातचीत में भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि पहले भारतीय कृषि उत्पादों को निर्यात बाजार में कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता था, जो अब सुगम हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत चावल, गेहूं, गन्ना, कपास, फल और सब्जियों के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन गया है। भाजपा के 42वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में सामाजिक न्याय पखवाड़ा के दौरान पार्टी केंद्रीय योजनाओं के बारे में लोगों को बता रही है। उन्होंने कहा कि देश में अनाज का उत्पादन 2013 के 26.50 करोड़ टन के मुकाबले बढ़कर 30.50 करोड़ टन हो गया है। रूडी ने कहा कि किसानों की मदद के सरकार ने निरंतर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाए हैं।

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