इमरान पर चलेगा देशद्रोह का केस, दोषी हुए तो हो सकती है सजा-ए-मौत
पाकिस्तान: पाकिस्तान का सियासी संकट जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान, संसद के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के संसद भंग करने और अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के फैसले को गलत ठहराया है। संसद बहाल करते हुए कोर्ट ने नौ अप्रैल को इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने को कहा है।
पाकिस्तान सरकार ने इमरान खान को हटाने के लिए लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पीछे कथित ‘विदेशी षड्यंत्र’ की जांच के लिए सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल तारिक खान की अगुवाई में आयोग का गठन किया है। सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में धमकी भरे पत्र की जांच के लिए आयोग गठन का फैसला लिया गया। आयोग सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र के स्रोत और इसके स्थानीय सहयोगियों की जांच करेगा। फवाद ने कहा, हमारे पास प्रमाण हैं कि असंतुष्ट आठ प्रांतीय सांसद विदेशियों के संपर्क में थे। सुप्रीम कोर्ट के नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के फैसले को पलटने और इमरान सरकार को बहुमत साबित करने का आदेश देने के एक दिन बाद आयोग गठन का निर्णय लिया गया है।
इस बीच पाकिस्तान की सियासत के लिए नौ अप्रैल का दिन बहुत अहम होने वाला है। ये भी तय है कि इमरान खान सदन का विश्वास खो चुके हैं। मौजूदा स्थिति में इमरान के लिए अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग में जीतना नामुमकिन दिख रहा है। विपक्ष की सरकार बनती है तो शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो इमरान के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। संसद भंग करवाने और अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करवाने की साजिश में इमरान को कड़ी सजा भुगतनी पड़ सकती है।
तीन अप्रैल को इमरान सरकार में मंत्री रहे फवाद चौधरी ने अविश्वास प्रस्ताव पर अपनी बात रखी। इसी दिन प्रस्ताव पर वोटिंग होनी थी। चौधरी ने डिप्टी स्पीकर के सामने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला दिया। इसमें दो क्लॉज हैं। इसके अनुसार –
‘राज्य के प्रति वफादारी प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है।’
‘संविधान और कानून का पालन करना हर नागरिक का दायित्व है। फिर वह पाकिस्तान के भीतर हो या बाहर।’ इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव को देश के खिलाफ विदेशी साजिश बताकर डिप्टी स्पीकर ने खारिज कर दिया।
पाकिस्तान का सियासी संकट जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान, संसद के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी और राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के संसद भंग करने और अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने के फैसले को गलत ठहराया है। संसद बहाल करते हुए कोर्ट ने नौ अप्रैल को इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग कराने को कहा है।
पाकिस्तान सरकार ने इमरान खान को हटाने के लिए लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के पीछे कथित ‘विदेशी षड्यंत्र’ की जांच के लिए सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल तारिक खान की अगुवाई में आयोग का गठन किया है। सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में धमकी भरे पत्र की जांच के लिए आयोग गठन का फैसला लिया गया। आयोग सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र के स्रोत और इसके स्थानीय सहयोगियों की जांच करेगा। फवाद ने कहा, हमारे पास प्रमाण हैं कि असंतुष्ट आठ प्रांतीय सांसद विदेशियों के संपर्क में थे। सुप्रीम कोर्ट के नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी के फैसले को पलटने और इमरान सरकार को बहुमत साबित करने का आदेश देने के एक दिन बाद आयोग गठन का निर्णय लिया गया है।
इस बीच पाकिस्तान की सियासत के लिए नौ अप्रैल का दिन बहुत अहम होने वाला है। ये भी तय है कि इमरान खान सदन का विश्वास खो चुके हैं। मौजूदा स्थिति में इमरान के लिए अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग में जीतना नामुमकिन दिख रहा है। विपक्ष की सरकार बनती है तो शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो इमरान के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। संसद भंग करवाने और अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करवाने की साजिश में इमरान को कड़ी सजा भुगतनी पड़ सकती है।
तीन अप्रैल को इमरान सरकार में मंत्री रहे फवाद चौधरी ने अविश्वास प्रस्ताव पर अपनी बात रखी। इसी दिन प्रस्ताव पर वोटिंग होनी थी। चौधरी ने डिप्टी स्पीकर के सामने पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 5 का हवाला दिया। इसमें दो क्लॉज हैं। इसके अनुसार –
‘राज्य के प्रति वफादारी प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है।’
‘संविधान और कानून का पालन करना हर नागरिक का दायित्व है। फिर वह पाकिस्तान के भीतर हो या बाहर।’ इसके बाद अविश्वास प्रस्ताव को देश के खिलाफ विदेशी साजिश बताकर डिप्टी स्पीकर ने खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के फैसले को रद्द कर दिया। इमरान खान की ओर से चुनाव कराने की सिफारिश के फैसले को भी असंवैधानिक करार दिया गया। मतलब साफ है कि इमरान सरकार ने अनुच्छेद 5 (II) का उल्लंघन किया है। अब अगर सत्ता विपक्ष के हाथों में चली जाती है तो नई सरकार इमरान के खिलाफ इस कानून के उल्लंघन को लेकर केस चला सकती है।
इमरान खान अगर पाकिस्तान संविधान के उल्लंघन के दोषी पाए जाते हैं तो उन पर इसी संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत कार्रवाई होगी। इसमें कहा गया है कि…
“अगर कोई व्यक्ति संविधान के किसी अनुच्छेद का उल्लंघन करे, उसे गलत तरीके से पेश करे या उसे जबरदस्ती और साजिशन रोकने की कोशिश करे, तो ऐसा व्यक्ति राष्ट्रदोह का दोषी होगा।”
“कोई व्यक्ति पहले क्लॉज के तहत संविधान उल्लंघन में किसी की मदद करेगा, तो वह भी राष्ट्रदोह का दोषी होगा।”
“मजलिस-ए-शूरा में संविधान उल्लंघन करने वाले राष्ट्रदोहियों को सजा मिलेगी। इनमें सजा-ए-मौत से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा देने का भी जिक्र किया गया है।”