नई दिल्ली – केंद्रीय बैंक को अब मुद्रास्फीति के बारे में चिंता करना शुरू कर देना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दर में वृद्धि को कम से कम चार महीने यानी अगस्त तक टाल सकता है। इस साल अब तक मुद्रास्फीति आरबीआई की 6 फीसदी ऊपरी सीमा से ऊपर रही है। फरवरी में हुई अपनी पिछली नीति बैठक में, केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया था। विशेषज्ञों की मानें तो इस बार भी केंद्रीय बैंक नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की दो दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक (RBI Monetary Policy Committee) आज 6 अप्रैल 2022 से शुरू हो रही है। इसके नतीजों की घोषणा आठ अप्रैल 2022 यानी शुक्रवार को की जाएगी। यह इसलिए खास है क्योंकि यह नए वित्त वर्ष 2022-23 की पहली 2 दिवसीय मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक है।
जिस रेट पर आरबीआई कमर्शियल बैंकों और दूसरे बैंकों को लोन देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट कम होने का अर्थ है कि बैंकों को केंद्रीय बैंक की ओर से सस्ता लोन मिलेगा। यानी इससे बैंक से मिलने वाले लोन भी सस्ते हो जाएंगे। आसान भाषा में समझें, तो रेपो रेट कम होने से होम लोन, कार लोन, आदि सस्ते हो जाते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछली समीक्षा बैठक में लगातार 10वीं बार नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। मौजूदा समय में रेपो रेट 4 फीसदी पर है। रिवर्स रेपो रेट 3.5 फीसदी पर है। भारत में महंगाई से जनता परेशान है। ऐसे में अब आम जनता को कर्ज की किस्त सस्ती होने का इंतजार है।