
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच नाइजीरिया में तेजी से पांव पसार रहा लासा फीवर दुनिया के लिए नई चुनौती खड़ी कर सकता है। नाइजीरिया सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के अनुसार नाइजीरिया में इस वर्ष 88 दिनों में लासा फीवर से 123 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, अब तक 659 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है।
ब्रिटेन में दो मरीज मिले हैं जबिक एक मौत हुई है। 25 फीसदी रोगी जो लासा फीवर को मात देते हैं उनमें बहरापन होता है। इसमें से आधे मरीजों की एक से तीन महीने में सुनने की क्षमता लौट जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार लासा फीवर एक्यूट वायरल हैमोरेजिक फीवर होता है जो लासा वायरस के कारण होता है। लासा का संबंध वायरसों के परिवार एरिनावायरस से है। मनुष्य आमतौर पर इसकी चपेट में अफ्रीकी मल्टीमैमेट चूहों से आते हैं। घर का सामान या खाद्य पदार्थ जो चूहों के यूरिन और गंदगी से संक्रमित होता है उससे बीमारी फैलती है।
नाइजीरिया में लासा का प्रकोप
– 21 से 30 वर्ष के लोग सबसे अधिक संक्रमित हुए।
– 45 स्वास्थ्यकर्मी इस साल बीमारी की चपेट में आए।
– 36 में से 23 राज्यों में संक्रमण की पुष्टि हुई है।
– 18.7 फीसदी है मृत्यु दर जनवरी से मार्च के बीच।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार लासा फीवर की चपेट में आने वाले 80 फीसदी में संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखता है। पांच में से एक संक्रमित को गंभीर तकलीफ होती है। वायरस से शरीर के प्रमुख अंग लिवर, स्प्लीन और किडनी को बुरी तरह प्रभावित होने का साक्ष्य मिला है। गंभीर मरीजों की मौत का कारण ऑर्गन फेल्योर होता है।