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सुप्रीम कोर्ट का आदेश: आयुर्वेद या एलोपैथी के लिए समान वेतन होना चाहिए


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नई दिल्ली: आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी या किसी अन्य चिकित्सक को एलोपैथिक या दंत चिकित्सक के समान भुगतान किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अनुसार 2012 में आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) के साथ-साथ एलोपैथिक डॉक्टरों की भर्ती उत्तराखंड राज्य में की गई थी। सरकार ने दोनों के लिए अलग-अलग वेतनमान निर्धारित किए हैं। इसके खिलाफ आयुष डॉक्टरों ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में केस दर्ज कराया था। आयुष डॉक्टर के पक्ष में फैसला सुनाने के बाद राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया था।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस जेएन माहेश्वरी की बेंच ने फैसला सुनाया कि हाईकोर्ट का फैसला वाजिब था। आयुष व अन्य डॉक्टरों को समान वेतन मिलना चाहिए। यदि नहीं, तो यह संवैधानिक प्रावधान के विरुद्ध है। इससे पहले अगस्त 2021 में एक अन्य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि सभी डॉक्टरों के लिए सेवानिवृत्ति की आयु समान होनी चाहिए।

दोनों ही मामलों में कोर्ट ने पाया कि डॉक्टर का ऑपरेशन मरीज का इलाज करना था। आयुष या अन्य डॉक्टर मरीज का इलाज अपनी सीख और ज्ञान के अनुसार करते हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।

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