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यूक्रेन बॉर्डर से केवल 100 किलोमीटर दूर पोलैंड पहुंचे जो बाइडेन


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नई दिल्ली – रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ रखी है और दोनों देशों के बीच युद्ध महीनेभर से जारी है. वहीं इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ब्रसेल्‍स के पास पोलैंड पहुंच गए हैं. बाइडेन इस समय जहां मौजूद हैं, वो जगह यूक्रेन बॉर्डन से महज 100 किलोमीटर दूर है. बाइडेन के साथ आज पोलैंड के नाटो के दूसरे बड़े नेता भी मौजूद रहेंगे.

पोलैंड में दिग्‍गजों की बैठक बताती है यह जगह नेताओं के लिए कितनी अहम है. दरअसल, पोलैंड के रास्‍ते ही यूक्रेन को सैन्‍य मदद पहुंचाई जा रही है. पोलैंड नाटो का अहम सैन्‍य बेस है. यहां पर अमेरिका ने 2 पैट्रियए मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम तैनात किए हैं. ब्रिटेन भी यहां पर मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम तैनात कर रहा है. पोलैंड ने यूक्रेन से आए 20 लाख लोगों को शरण भी दी है.

उधर अमेरिका और यूरोपीय संघ रूस के ऊर्जा संसाधनों पर अपनी निर्भरता को कम करेंगे और इसके लिए दोनों एक नई साझेदारी की घोषणा भी की है. अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ये साझेदारी दरअसल यूक्रेन में सैन्य आक्रमण को लेकर रूस को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग-थलग करने के इरादे से की है. शुक्रवार को व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने रूसी जीवाश्म ईंधन पर यूरोप की निर्भरता को कम करने और यूरोपीय ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक संयुक्त टास्क फोर्स की घोषणा की. साथ ही व्हाइट हाउस ने बताया कि इस साझेदारी के तहत अमेरिका और अन्य देश इस साल यूरोप को तरलीकृत प्राकृतिक गैस के निर्यात में 15 अरब घन मीटर की वृद्धि करेंगे और भविष्य में इससे भी ज्यादा संसाधनों की आपूर्ति की जाएगी.

व्हाइट हाउस के अनुसार ऊर्जा दक्षता और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों के माध्यम से लंबे समय में जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने की दिशा में भी साझेदारी तैयार की गई है. गौरतलब है कि ऊर्जा संसाधन रूस के लिए आय और राजनीतिक शक्ति का एक प्रमुख स्रोत है. घरों को गर्म रखने, बिजली के इस्तेमाल और बिजली पैदा करने के लिए यूरोपीय संघ को रूस 40 प्रतिशत से अधिक प्राकृतिक गैस का निर्यात करता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि यूक्रेन में युद्ध के कारण अमेरिका इस महीने की शुरुआत में रूसी तेल और गैस के आयात पर प्रतिबंध लगाएगा, लेकिन यूरोपीय देश ऊर्जा की जरूरतों के लिए मास्को पर अधिक निर्भर हैं.

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