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यूक्रेन संकट पर भारत 6 सिद्धांतों पर कर रहा है काम : विदेश मंत्री जयशंकर


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नई दिल्ली :विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन संकट पर भारत की स्थिति छह सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें हिंसा का तत्काल अंत, वार्ता और कूटनीति के रास्ते पर वापसी और सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान शामिल है। राज्यसभा में यूक्रेन की स्थिति पर सवालों के जवाब में जयशंकर ने कहा कि ऐसे मामलों में भारत की विदेश नीति के फैसले राष्ट्रीय हितों के अनुरूप होते हैं और देश “हमारी सोच, हमारे विचारों, हमारे हितों से निर्देशित होता है”।

यूक्रेन की स्थिति पर उन छह सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए जिन पर भारत अडिग है, उन्होंने कहा कि यह “हिंसा की तत्काल समाप्ति और शत्रुता को समाप्त करना”, “संवाद और कूटनीति के मार्ग पर लौटना” और वैश्विक व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सभी राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान पर आधारित है।

जयशंकर ने कहा कि भारत के इन सिद्धांतों में एक जटिल स्थिति में मानवीय पहुंच का आह्वान और रूस व यूक्रेन दोनों के नेतृत्व के संपर्क में रहना शामिल है। इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से बात की है। उन्होंने कहा कि भारत ने यूक्रेन को 90 टन मानवीय सहायता प्रदान की है।

जयशंकर ने कहा, “हमारी यह स्थिति इसलिए नहीं है कि यह हमारी समस्या नहीं है, बल्कि हमारी यह स्थिति इसलिए है क्योंकि हम शांति चाहते हैं।” मोदी ने पुतिन से तीन बार और दो बार जेलेंस्की से बात की है। उन्होंने कहा कि इन चर्चाओं में देखा गया कि भारत “शत्रुता की समाप्ति को प्रोत्साहित करने और कूटनीति और बातचीत पर लौटने के लिए क्या कर सकता है”।

भारत ने अब तक रूस के एक्शन की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने या अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों के बढ़ते दबाव के बावजूद यूक्रेन पर आक्रमण की निंदा करने से परहेज किया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासभा में यूक्रेन से संबंधित सभी मतों से भी परहेज किया है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि भारत के रूस के साथ लंबे समय से रक्षा और रणनीतिक संबंध हैं।

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