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कश्मीरी पंडितों ने 1989-90 के नरसंहार के लिया एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया


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नई दिल्ली: दशकों बीत गए लेकिन 19 जनवरी की रात को इन लोगों के साथ जो हुआ उसे वे आज भी नहीं भूल सकते। 1989-90 के नरसंहार की जांच के लिए कश्मीरी पंडितों ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कश्मीरी पंडितों के संगठन रूट्स इन कश्मीर ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर कर मामले की दोबारा जांच की मांग की है।

2017 में सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पिटीशन को खारिज करते हुए कहा था कि 27 साल के नरसंहार के बाद सबूत जुटाना मुश्किल है। सुप्रीम कोर्ट में दायर एक नई याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 33 साल बाद 1984 के दंगों की जांच की है। इस मामले में भी ऐसा ही किया जाना चाहिए। कश्मीरी पंडितों पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की रिलीज के बाद कश्मीरी पंडितों का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है।

कश्मीरी पंडितों के संगठन, रूट्स इन कश्मीर ने 1989-90 के नरसंहार की जांच के लिए एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। द रूट्स इन कश्मीर संगठन का कहना है कि अगर 33 साल बाद 1984 के दंगों की जांच की जा सकती है, तो कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की भी जांच हो सकती है। कश्मीरी पंडितों को कश्मीर घाटी से विस्थापित हुए 31 साल बीत चुके हैं।

19 जनवरी 1990 को लाखों कश्मीरी पंडितों को अपना घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। तीन दशक बाद भी वे कश्मीर घाटी में नहीं लौट पाए हैं, जिससे वे नाराज हैं। इतने दशक बीत चुके हैं लेकिन 19 जनवरी की रात को इन लोगों के साथ जो कुछ हुआ, वह आज भी वे नहीं भूल सकते।

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