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गंगा नदी के पानी को शुद्ध करके बेच सकती है केंद्र सरकार, आईओसीएल होगी खरीदार


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नई दिल्ली : सरकार गंगा नदी के प्रवाह के ट्रीटमेंट के तरीकों पर विचार कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जल्द ही इस ट्रीटेड पानी को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को बेचा जाएगा। गंगा बेसिन प्रतिदिन लगभग 12,000 मिलियन लीटर (एमएलडी) अपशिष्ट जल एकत्र करती है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक (डीजी) अशोक कुमार ने कहा कि एजेंसी लगभग एक महीने में आईओसीएल को उपचारित पानी बेचना शुरू कर देगी। डीजी अशोक कुमार ने कहा, ‘हम इस प्रोजेक्ट की शुरुआत मथुरा से कर रहे हैं, जिसके तहत आईओसीएल को 20 एमएलडी ट्रीटेड पानी उपलब्ध कराया जाएगा। एक तेल रिफाइनरी है और आईओसीएल की आवश्यकता के अनुसार मथुरा रिफाइनिंग प्लांट (एसटीपी) से उपचारित पानी की आपूर्ति की जाएगी।

देश में पहली बार किसी तेल रिफाइनरी ने ट्रीटेड वाटर का इस्तेमाल किया
उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि हम एक या दो महीने में इस परियोजना को शुरू करने में सक्षम होंगे और यह देश में पहली बार होगा जब कोई तेल रिफाइनरी उपचारित पानी का उपयोग करेगी।” बेच दें क्योंकि यह उनके लिए सही है।

उन्होंने कहा, ‘उद्योग अच्छी गुणवत्ता के शुद्ध नहाने के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं।’ यह नदी के अच्छे पानी के उपयोग को कम करने में भी मदद करेगा। एनएमसीजी के डीएमसी ने कहा कि एजेंसी आयुष मंत्रालय के साथ भी बातचीत कर रही है कि प्राकृतिक कृषि के हिस्से के रूप में नदी के किनारे औषधीय पौधों को कैसे उगाया जाए।

अब ‘पृथ्वी गंगा’ पर फोकस
एनएमसीजी के महानिदेशक ने कहा कि हम आयुष मंत्रालय से भी बात कर रहे हैं कि नदी के किनारे इस पानी से औषधीय पौधों को प्राकृतिक फसल के रूप में कैसे उगाया जाए। इससे किसान अपनी आजीविका के लिए नदी के किनारे औषधीय पौधों की खेती कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि एनएमसीजी का फोकस अब ‘पृथ्वी गंगा’ पर है। इसका अर्थ है लोगों को नदियों से जोड़ना और दोनों के बीच आर्थिक संबंध बनाना। हम पिछले दो महीने से धरती गंगा के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

मोदी सरकार ने साल 2015 में ‘नमामि गंगा’ मिशन की शुरुआत की थी. इसका उद्देश्य गंगा सफाई की सभी योजनाओं को एक करना है। इस कार्यक्रम के तहत रु. 30,255 करोड़ रुपये की लागत से कुल 347 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

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