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Holika Dahan करते समय न करें ये गलतियां, वरना होती हैं अशुभ


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नई दिल्ली – फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है और शाम के समय शुभ मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन किया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को हिरण्यकश्यप ने होलिका की गोद में बैठाकर जिंदा जलाने की कोशिश की थी. और इस दौरान होलिका खुद ही जल कर खत्म हो गई थी. उस दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा थी. तभी से होलिका दहन किया जाता है.

होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में किया जाता है. इस बार होलिका दहन 17 मार्च और होली 18 मार्च के दिन मनाई जाएगी. होलिका दहन के समय कुछ चीजों को ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इस दिन भूलकर भी ये गलतियां न करें. ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

होलिका दहन में इन बातों का ध्यान रखें –
सही मुहूर्त पर होलिका दहन करें.
होलिका दहन पूर्णिमा के अंतिम भाग में यानी भद्रा रहित काल में होगा.
होलिका दहन की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा क्योंकि यह समय भद्रा रहित होगा. इसलिए रात को होलिका दहन का समय रखा गया है.
होलिका दहन स्थान को गंगाजल से शुद्ध करना ना भूलें.
होलिका डंडा बीच में रखें. चारों तरफ सूखे उपले, सूखी लकड़ी, सूखी घास रखें. तब अग्नि जलाएं और होलिका दहन करें.

होलिका दहन में नारियल गोला, सुपारी और सिक्के डालें.
नारियल बच्चों की बुद्धि को अच्छी करेगा और दिमाग तेज करेगा.
सुपारी उनके बुरी आदतों और बुरे विचारों पर रोक लगाएगा.
इस तरह से बच्चों की बुराई होलिका दहन की अग्नि में जलकर भस्म हो जाएगी.
बच्चे सुखी होकर पढ़ेंगे, लिखेंगे और बहुत धन कमाएंगे.

होलिका दहन से पहले पूजा करें.
पूजा में दीपक, धूप, एक माला, गन्ना, चावल, काले तिल, कच्चा सूत, पानी का लोटा, पापड़ चढ़ाएं.
पूजा में हनुमान जी और शीतला माता को प्रणाम करें.
होलिका दहन में चावल, आम और नीम की लकड़ी चने की झाड़, पापड़ और गेंहू की बालियां डालें और होलिका दहन की अगली सुबह यानी होली वाले दिन होलिका दहन के स्थान पर एक लोटा ठंडा पानी डालें.

होलिका दहन के दौरान न करें ये गलतियां –
1. मान्यता है कि होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है. इसलिए किसी भी नवविवाहिता को ये अग्नि नहीं देखनी चाहिए. इसे अशुभ माना गया है. इससे उनके वौवाहिक जीवन में दिक्कतें शुरू हो सकती हैं.

2. होलिका दहन वाले दिन किसी भी व्यक्ति को पैसा उधार देने की मनाही होती है. ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती. और व्यक्ति की आर्थिक समस्याएं बढ़नी शुरू हो जाती हैं. इतना ही नहीं, इस दिन उधार लेने से भी परहेज करें.

3. मान्यता है कि माता-पिता की इकलौती संतान होने पर होलिका दहन की अग्नि को प्रज्जवलित करने से बचें. इसे शुभ नहीं माना जाता.एक भाई और एक बहन होने पर होलिका की अग्नि को प्रज्जवलित किया जा सकता है.

4. मान्यता है कि इस दिन होलिका दहन के लिए पीपल, बरगद या आम की लकड़ियों का इस्तेमाल न करें. ये पेड़ दैवीय और पूजनीय पेड़ हैं. साथ ही इस मौसम में इन वृक्षों पर नई कोपलें आती हैं, ऐसे में इन्हें जलाने से नकारात्मकता फैलती है. होलिका दहन के लिए गूलर या अरंड के पेड़ की लकड़ी या उपलों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

5. कहते हैं कि इस दिन अपनी माता का आशीर्वाद जरूर लें. उन्हें कोई उपहार लाकर दें, ऐसा करने से श्रीकृष्ण प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा बनी रहती है. किसी भी महिला का भूलकर भी अपमान न करें.

 

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