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ईरान के विदेश मंत्री आज मॉस्को दौरे पर, करेंगे परमाणु समझौते पर बात, सकते में अमेरिका


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नई दिल्ली – पिछले 20 दिनों से जारी रूस यूक्रेन युद्ध के कारण पूरी दुनिया परेशान है। इस युद्ध की वजह से दुनिया में तेल और गैस के दाम आसमान छू रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन जैसी मजबूत अर्थव्यवस्था को भी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। इस बीच ईरान ने इराक में अमेरिकी वाणिज्यिक दूतावास के ऊपर बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया है।

ईरानी सेना ने खुद स्वीकार किया है कि इराक के ऊपर दागे गए 12 बैलिस्टिक मिसाइलों के पीछे उसका हाथ है। हालांकि, ईरानी सेना ने दावा किया है कि उसने इस मिसाइलों के जरिए इराक में मौजूद इजरायली ठिकानों को निशाना बनाया है। अमेरिका ने ईरानी सेना के इस मिसाइल हमले की खूब निंदा की है। इस बीच अचानक से ईरान एक्टिव हो गया है. तेहरान से खबर आई है कि 15 मार्च यानी मंगलवार को ईरान के विदेश मंत्री मॉस्को पहुंचेंगे. यूक्रेन युद्ध के बीच मॉस्को में ईरान और रूस की बड़ी बैठक होगी. सबसे बड़ी बात ये है कि ईरान और रूस परमाणु समझौते पर बात करेंगे. इस खबर के आने के साथ ही एक बार फिर न्यूक्लियर पावर वाले देशों के साथ ही पूरी दुनिया की नजर कल की इस मीटिंग पर टिक गई हैं. सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या रूस ईरान को न्यूक्लियर पावर वाला देश बनाने वाला है? क्या रूस ईरान को न्यूक्लियर हथियारों की तकनीक ट्रांसफर कर सकता है? और सबसे बड़ा सवाल ये है कि मास्को में होने वाली इस मीटिंग से क्या ईरान-अमेरिका के बीच होने जा रहा परमाणु समझौता प्रभावित होगा?

साल 2017 में अमेरिका ईरान के परमाणु समझौते से अलग हो गया था. हालांकि बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद इस समझौते पर फिर से बात शुरू हुई. तेहरान ने अमेरिका के सामने जो शर्तें रखी हैं. अगर अमेरिका उसे स्वीकार कर लेता है तो ईरान परमाणु समझौता जल्द संभव हैं. ईरान ने ये भी कहा कि इस समझौते को लेकर रूस का योगदान अब तक पॉजिटिव रहा है. ऐसे में अचानक परमाणु समझौते पर ईरान के विदेश मंत्री के मास्को जाने की खबर बहुत बड़ी है. क्योंकि 2015 का समझौता अगर फिर से लागू होता है तो ईरान परमाणु हथियार नहीं बना सकेगा. इस समझौते का मकसद ही ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना था.

समझौते पर सिग्नेचर करने वाले देशों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य- अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन के अलावा जर्मनी भी था. लेकिन 2017 में अमेरिका इस समझौते से अलग हो गया और ईरान पर नए प्रतिबंध लगा दिए. जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद, इस समझौते पर पिछले साल फिर से बातचीत शुरू हुई थी. किसी भी वक्त इस समझौते पर मुहर लगने की उम्मीद थी. हालांकि ईरान ने इराक के इरबिल में अमेरिकी दूतावास पर 12 मिसाइलें दागकर सबको चौंका दिया.

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