रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच एक और युद्ध की आहट, मिसाइल हमले के बाद अमेरिका-ईरान में तनाव
नई दिल्ली – पिछले 19 दिनों से जारी रूस यूक्रेन युद्ध के कारण पूरी दुनिया परेशान है। इस युद्ध की वजह से दुनिया में तेल और गैस के दाम आसमान छू रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन जैसी मजबूत अर्थव्यवस्था को भी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करन में एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। इस बीच ईरान ने इराक में अमेरिकी वाणिज्यिक दूतावास के ऊपर बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया है।
ईरानी सेना ने खुद स्वीकार किया है कि इराक के ऊपर दागे गए 12 बैलिस्टिक मिसाइलों के पीछे उसका हाथ है। हालांकि, ईरानी सेना ने दावा किया है कि उसने इस मिसाइलों के जरिए इराक में मौजूद इजरायली ठिकानों को निशाना बनाया है। अमेरिका ने ईरानी सेना के इस मिसाइल हमले की खूब निंदा की है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि हम ईरान को जवाबदेह ठहराने में इराक सरकार का समर्थन करेंगे। हम ईरान से इसी तरह के खतरों का सामना करने के लिए पूरे मध्य पूर्व में अपने सहयोगियों का समर्थन करेंगे।
अमेरिका ने कहा कि है कि उनका देश इराक की पूर्ण संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता के पीछे खड़ा है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने बताया था कि इस हमले से इराक में वाणिज्यिक दूतावास को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। उन्होंने यह भी कहा था कि अमेरिका के पास कोई सबूत नहीं है कि ईराकी सेना ने उनके देश को निशाना बनाकर मिसाइलें दागी थीं।
ईरान के शक्तिशाली रिवोल्यूशनरी गार्ड ने अपनी वेबसाइट पर कहा था कि उसने इराक के इरबिल में एक इजरायली जासूसी केंद्र के निशाना बनाया था। हालांकि, इस हमले को लेकर विस्तार से कोई भी जानकारी नहीं दी, लेकिन इतना जरूर कहा कि इजरायल इन दिनों कुछ ज्यादा ही आक्रामकता दिखा रहा है। हाल में ही इजरायल के हमले में रिवोल्यूशनरी गार्ड के दो सैनिक मारे गए थे। ईरान की सरकारी तसनीम समाचार एजेंसी ने कहा कि ईरान ने इराक पर 10 फतेह मिसाइलें दागी थीं, इनमें कई फतेह-110 मिसाइलें भी शामिल थीं। फतेह 110 मिसाइल की मारक क्षमता लगभग 300 किलोमीटर (186 मील) है।
पिछले 24 घंटे में अमेरिका के रिएक्शन को देखते हुए यह माना जा रहा है कि इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी। बाइडेन प्रशासन बिलकुल नहीं चाहता है कि रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान तनाव का कोई नया मोर्चा खुले। दूसरी ओर, ईरान पर कार्रवाई करने से तीसरे विश्व युद्ध का भी खतरा बढ़ सकता है। अमेरिका को ईरान के इस मिसाइल हमले में कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। ऐसे में बाइडेन प्रशासन के पास ईरान के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने की ठोस वजह भी मौजूद है।
अमेरिका जानता है कि अगर उसने ईरान के खिलाफ अभी कार्रवाई की तो हालात संभालने मुश्किल हो जाएंगे। ईरान पहले से ही अमेरिका विरोधी गठजोड़ का बड़ा खिलाड़ी है। रूस, चीन और ईरान पिछले कई साल से अमेरिका के खिलाफ साथ मिलकर काम कर रहे हैं। अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद जो बाइडेन कैसे भी करके ईरान को परमाणु समझौते में वापस लाना चाहते हैं। इसे लेकर जिनेवा में कई महीनों से बैठकें भी चल रही हैं। ऐसे में अगर कोई भी सैन्य कार्रवाई होती है तो ईरान बातचीत से साफ पीछे हट जाएगा। जिसके बाद ईरान परमाणु हथियारों के लिए यूरेनियम संवर्धन करने की कोशिश को भी तेज कर सकता है। ऐसे में अमेरिका कोई रिस्क नहीं लेना चाहता।