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राजनीति

केशव का राजनीतिक भविष्य अब संघ और संगठन के हवाले


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उत्तर प्रदेश : भाजपा के कद्दावर पिछड़े वर्ग के नेता केशव प्रसाद मौर्य के सिराथू से चुनाव हारने के बाद उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि केशव अभी विधान परिषद सदस्य हैं। ऐसे में केशव को योगी सरकार में जगह मिलेगी या उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय टीम में जिम्मेदारी दी जाएगी, इसका निर्णय पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अगले सप्ताह तक करेगा।

केशव ने विश्व हिंदू परिषद के जरिए भाजपा की राजनीति में कदम रखा था। विहिप के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के करीबी रहे केशव को आरएसएस के सह कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सर सह कार्यवाह कृष्णगोपाल सहित अन्य नेताओं का भी करीबी माना जाता है।

सूत्रों के मुताबिक पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को ध्यान में रखकर ही केशव के मुद्दे पर निर्णय लिया जाएगा। दिल्ली में 13 व 14 मार्च को होने वाली बैठक में संघ और भाजपा के शीर्ष नेताओं के स्तर पर केशव को लेकर चर्चा की जाएगी।

गौरतलब है की सत्रहवीं विधानसभा भंग होने के साथ ही विधानसभा की गठित सभी समितियां तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं। विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार सत्रहवीं विधानसभा के जो सदस्य विभिन्न समितियों, परिषदों व निकायों आदि में विधानसभा सदस्य की हैसियत से निर्वाचित या नामित किए गए थे, उनकी सदस्यता भी समाप्त हो गई है।

सिराथू सीट की बात करें तो केशव प्रसाद मौर्य उम्मीदों पर खरे साबित नहीं हुए। वो EVM ही नहीं, पोस्टल बैलेट में भी पीछे रहे। केशव प्रसाद मौर्य को पोस्टल बैलेट में 214 वोट मिले, जबकि पल्लवी पटेल ने 710 वोट हासिल किया। यही नहीं EVM वोटों के मामले में भी केशव प्रसाद मौर्य, पल्लवी पटेल से आगे नहीं निकल पाए। उन्हें 98727 वोट मिले, जबकि सपा उम्मीदवार के खाते में 105568 वोट गए केशव प्रसाद का वोट प्रतिशत (43.28%) और पल्लवी पटेल का (46.49%) रहा। हालांकि निर्दलीयों को मिले वोटों को जोड़े लें तो नतीजा बदल सकता था। केशव प्रसाद 7,337 वोटों से हारे थे, जबकि 5 निर्दलीयों को मिले वोटों की संख्या 7586 है।

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