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राजनीति

योगी सरकार 2.0 : इन दिग्गजों को मिल सकता है मंत्री पद का तोहफा?


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लखनऊ – उत्तर प्रदेश में भाजपा की दमदार वापसी हुई है। पार्टी ने अपने दम पर 255 सीटें जीती हैं, जबकि उसके गठबंधन साथियों को मिलाकर एनडीए को 273 सीटें मिली हैं। ऐसे में अब योगी सरकार 2.0 कैसी होगी इसका सबको इंतजार है। अब सबकी नजर इस पर नजर है। साफ है कि किन्हें मंत्री पद मिलेगा। योगी सरकार 2.0 की बिसात 2024 की लड़ाई को साधते हुए बिछाई जाएगी। ऐसे में कई ऐसे चेहरों को जगह मिल सकती है जो संगठन के जरिए पार्टी को मजबूत करते आए हैं। साथ ही ऐसे नए चेहरों को भी जगह मिल सकती है, जो राजनीति से ज्यादा प्रशासनिक क्षमता का अनुभव रखते हैं।

यूपी चुनाव के परिणाम ऐसे समय आए हैं, जब लोकसभा चुनावों के लिए करीब 2 साल का ही समय बचा है। ऐसे में नए मंत्रियों के पास काम करने के लिए केवल 2 साल का समय बचेगा। इसे देखते हुए पार्टी के लिए योगी सरकार 2.0 में ओबीसी, सवर्ण, दलित वोटरों को साधने की चुनौती होगी। इसे देखते हुए इन जातियों का प्रतिनिधित्व नए मंत्रिमंडल में दिखेगा। योगी सरकार 1.0 में कुल 60 मंत्री थे। इसमें से स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी ने चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। इसके अलावा योगी सरकार के 11 मंत्री चुनाव हार चुके हैं। जिनमें उप मुख्य मंत्री केशव प्रसाद मौर्य से लेकर, गन्ना मंत्री सुरेश राणा, युवा एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उपेंद्र तिवारी, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री सतीश द्विवेदी, ग्राम्य विकास राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला जैसे नाम शामिल हैं।

इनके अलावा योगी सरकार में उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा था। उनके चुनाव नहीं लड़ने से संकेत यही है कि पार्टी उनका इस्तेमाल संगठन के लिए कर सकती है। ऐसे में उनके दोबारा उप मुख्यमंत्री बनने की संभावना बेहद कम है। ओबीसी चेहरे के रूप में स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा का साथ छोड़ चुके हैं, वहीं उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अपनी सीट नहीं बचा पाए हैं। ऐसे में संभावना है कि इस बार ओबीसी चेहरे के रूप में उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को बड़ी जिम्मेदारी दी जाए। इसी तरह उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य भी इस बार दलित चेहरे के रूप में आगरा से उम्मीदवार थीं। वह न केवल खुद जीतकर आई है बल्कि आगरा की सभी 9 सीटें भाजपा की झोली में गई है। ऐसे में इसका इनाम बेबी रानी मौर्य को मिल सकता है। उनके साथ दलित और महिला फैक्टर दोनों जुड़ा हुआ है।

इनके अलावा पूर्व आईपीएस अधिकारी असीम अरूण और ईडी में अधिकारी रह चुके राजेश्वर राव को उनकी प्रशासनिक क्षमता को देखते हुए मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। इसी तरह नोएडा से करीब 1.80 लाख वोटों से जीतकर आए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह, साहिबाबाद सीट से रिकॉर्ड 2.14 लाख वोटों से जीत दर्ज करने वाले सुनील शर्मा और देवरिया से ब्राह्मण चेहरे के रूप में जीतकर आए शलभ मणि त्रिपाठी भी मंत्रिमंडल में नए चेहरे हो सकते हैं। शलभ मणि इसके पहले योगी सरकार में मीडिया सलाहकार थे।

साथ ही अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल और संजय निषाद की निषाद पार्टी से भी प्रतिनिधित्व मिलने की पूरी संभावना है। इस बार ओम प्रकाश राजभर की जगह संजय निषाद या उनके बेटे को अहम मंत्रालय मिल सकता है। साथ ही अपना दल के बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए अहम मंत्रालय दिए जा सकते हैं। इस बार अपना दल को 12 सीटें मिली हैं। जो उनका अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है।

पहले कार्यकाल की तरह इस बार भी 2 उप मुख्यमंत्री का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है। इस रेस में स्वतंत्र देव सिंह और बेबी रानी मौर्य सबसे आगे दिखते हैं। स्वतंत्र देव सिंह के संगठन से उप मुख्यमंत्री बनने के इसलिए भी ज्यादा चांस है क्योंकि एक तो वह ओबीसी चेहरा हैं, दूसरा वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी है। इसी तरह की परिस्थितियों में केशव प्रसाद मौर्य 2017 में उप मुख्यमंत्री बनाए गए थे। वहीं बेबी रानी मौर्य को उनके अनुभव और दलित चेहरे के कारण उप मुख्यमंत्री का पद मिल सकता है।

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