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राजनीति

योगी ने तोड़ा नोएडा वाला मिथ, जाने क्या है कहानी..


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बिहार : यूपी में अब तक माना जाता रहा है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं रहती है। उसकी सत्ता में वापसी नहीं होती। इस कारण कुछ मुख्यमंत्री तो नोएडा जाने से बचते रहे। उद्घाटन या शिलान्यास को लेकर कुछ को कार्यक्रम के सिलसिले में वहां जाने की जरूरत पड़ी तो नोएडा न जाकर अगल-बगल या दिल्ली के किसी स्थान से इस काम को पूरा किया गया। योगी ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो नोएडा जाने से डरने के बजाय वहां कई बार गए। उन्होंने नोएडा जाने के बाद भी लगातार पांच साल मुख्यमंत्री रहकर एक मिथक तोड़ दिया, और अब फिर से सत्ता में आकर सारे मिथक तोड़ दिए। 1988 से यह मिथक है कि नोएडा जाने वाले मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है। वीर बहादुर सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। वह नोएडा गए और संयोग से उनकी मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई। नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया गया। वह 1989 में नोएडा के सेक्टर-12 में नेहरू पार्क का उद्घाटन करने गए।

कुछ समय बाद चुनाव हुए, लेकिन वह कांग्रेस की सत्ता में वापसी नहीं करा पाए। इसके बाद कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ कि वह नोएडा गए और कुछ दिन बाद संयोग से मुख्यमंत्री पद छिन गया। राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे तो उन्हें नोएडा में निर्मित एक फ्लाईओवर का उद्घाटन करना था। पर, उन्होंने नोएडा की जगह दिल्ली से उद्घाटन किया। अगर भाजपा फिर से चुनाव में जीत हासिल करती है तो योगी आदित्यनाथ इस मिथक को भी तोड़ देंगे।गोरखपुर शहरी सीट से योगी आदित्यनाथ रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल करने वाले पहले प्रत्याशी हो गए हैं। इस बार इस सीट पर 2.32% वोटिंग में बढ़ोतरी हुई थी। इसके चलते भाजपा के जीत का अंतर भी बढ़ गया। सीएम योगी ने दूसरे नंबर पर रही समाजवादी पार्टी की प्रत्याशीको 41.2% वोटों के अंतर से पराजित कर दिया।

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