x
रूस यूक्रेन युद्धविश्व

तमाम प्रतिबंधों के बावजूद क्यों नहीं डगमगा रहा है पुतिन का हौसला?


सरकारी योजना के लिए जुड़े Join Now
खबरें Telegram पर पाने के लिए जुड़े Join Now

रूस – विश्लेषकों के मुताबिक रूस की ये हैसियत यूक्रेन के लिए बड़ी परेशानी की वजह बना हुआ है। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा ने मांग की है कि पश्चिमी सरकारें रूस पर पूरा प्रतिबंध लगाएं। यूरोपियन यूनियन के विदेश नीति प्रमुख जोसेफ बॉरेल ने कहा भी है कि इस बारे में विचार किया जा रहा है। यूक्रेन में जारी युद्ध के बीच ऊर्जा की आपूर्ति सबसे बड़ी चिंता बन कर उभरी है। बताया जाता है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस बात से परिचित हैं। इसीलिए वे आश्वस्त हैं कि पश्चिमी देश चाहे जितना शोर मचा लें, वे रूस की कमर तोड़ सकने लायक कदम नहीं उठाएंगे।

यूरोप की अर्थव्यवस्था रूसी गैस की सप्लाई पर काफी हद तक निर्भर है। इसके बदले यूरोप अमेरिका से गैस खरीद सकता है। लेकिन उसके लिए उसे महंगी कीमत चुकानी होगी। जबकि इस समय पूरी दुनिया ऊंची महंगाई दर से परेशान है। ऐसे में यूरोपीय देश अपने यहां महंगाई और बढ़ाने वाला कोई कदम उठाएंगे, इसकी संभावना कम है।

वेबसाइट एशिया टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध रूस को दंडित करने के लिए लगाए हैं। इसके बावजूद अभी तक हकीकत यह है कि रूस के प्रमुख वित्तीय स्रोत ठप नहीं हुए हैं। यह जरूर है कि उद्योग, मीडिया, वित्त और खेल के क्षेत्र में रूस पर तगड़ी मार पड़ी है। साथ ही रेटिंग एजेंसियों ने उसका दर्जा गिरा दिया है, जिससे उसे आगे वैश्विक संस्थानों से कर्ज मिलने की संभावना न्यूनतम हो गई है। लेकिन रूस के ऊर्जा निर्यात पर अभी तक कोई असर नहीं हुआ है, जबकि यही उसकी अर्थव्यवस्था का प्रमुख सहारा है।

अमेरिका के ऊर्जा सूचना प्रशासन (ईआईए) ने एक ताजा टिप्पणी में कहा है- ‘रूस 2020 में दुनिया में पेट्रोलियम और लिक्विफाइड गैस का (अमेरिका और सऊदी अरब के बाद) तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक था। ड्राई नेचुरल गैस का वह (अमेरिका के बाद) दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक था।’ क्षेत्रफल के लिहाज से रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है। दुनिया के कुल तेल भंडार का छह फीसदी हिस्सा उसके पास है। जबकि दुनिया में प्राकृतिक गैस के कुल ज्ञात भंडार का 20 प्रतिशत हिस्सा उसके पास है। तेल और गैस के कारोबार में रूस में चार लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
वेबसाइट ट्रेडिंग इकॉनमिक्स के मुताबिक 2021 में रूस ने कुल 493.3 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था। उसमें 59.3 फीसदी हिस्सा ऊर्जा का था। विशेषज्ञों का कहना है कि ऊर्जा क्षेत्र में रूस की इसी मजबूत स्थिति के कारण पश्चिमी देश रूसी अर्थव्यवस्था को ठप करने का अपना उद्देश्य हासिल नहीं कर पा रहे हैं। बल्कि खुद यूरोप की रूस पर निर्भरता बनी हुई है। ईआईए ने लिखा है- ‘यूरोप रूसी तेल औक गैस का मुख्य बाजार है। इस रूप में यूरोप ही उसके राजस्व का मुख्य स्रोत है।’

यूरोप मे जर्मनी रूसी गैस का सबसे बड़ा ग्राहक है। उसके बाद इटली और फ्रांस आते हैं। विश्लेषकों के मुताबिक रूस की ये हैसियत यूक्रेन के लिए बड़ी परेशानी की वजह बना हुआ है। यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कुलेबा ने मांग की है कि पश्चिमी सरकारें रूस पर पूरा प्रतिबंध लगाएं। यूरोपियन यूनियन के विदेश नीति प्रमुख जोसेफ बॉरेल ने कहा भी है कि इस बारे में विचार किया जा रहा है।
लेकिन यूक्रेन में प्राकृतिक गैस की सरकारी कंपनी नेफ्तोगैज के पूर्व प्रमुख आंद्रिय कोबोलेव ने कहा है- ‘मुझे व्लादिमीर पुतिन और उनकी टीम के साथ काम करने का अनुभव है। उनकी सोच का एक मुख्य आधार यह है कि ऊर्जा सप्लाई पश्चिम के लिए इतनी अहम है कि रूस चाहे जो करे, पश्चिमी देश तेल और गैस मांगने के लिए उसके सामने घुटने टेके रहेंगे।’

Back to top button