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सप्ताह के पहले ही दिन सेंसेक्स 1400 अंक से ज्यादा टूटा, निफ्टी 15900 के नीचे लुढ़का


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नई दिल्ली – सप्ताह के पहले कारोबारी दिन सोमवार को शेयर बाजार खुलने के साथ ही बुरी तरह टूट गया। बीएसई का सेंसेक्स 1400 अक से ज्यादा की गिरावट के साथ खुला, जबकि एनएसई के निफ्टी ने 15900 के नीचे आकर कारोबार शुरू किया।रूस और यूक्रेन के बीच जारी तेज जंग के चलते कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच सप्ताह के पहले कारोबार दिन शेयर बाजार खुलते ही बुरी तरह टूट गया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1404 अंकों या 2.58 फीसदी की जोरदार गिरावट के साथ 52,930 के स्तर पर खुला। जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी सूचकांक ने 380 अंक फिसलकर 15,866 के स्तर पर कारोबार शुरू किया।
सप्ताह के पहले ही दिन मार्केट में इतनी गिरावट आने से निवेशको को लाखों रुपयों का नुकसान हुआ है।
साप्तहिक कारोबार के पहले दिन ही आज एक बार फिर शेयर मार्केट क्रैश कर गया, एक समय यह 1500 अंक तक गिर गया था। फिलहाल बीएसई करीब 2% या 1200 अंक नीचे कारोबार कर रहा है। यूक्रेन को लेकर रूस और पश्चिम के बीच बढ़ते तनाव से वैश्विक स्तर पर निवेशक परेशान हैं, इस दबाव के बीच भारतीय शेयर बाजारों में भी गिरावट आ रही है। सेंसेक्स 1500 अंक से अधिक गिर गया जबकि निफ्टी 17,000 से नीचे आ गया। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों, यूक्रेन पर तनाव से वैश्विक वित्तीय बाजार दबाव में हैं और इससे निवेश के लिए सुरक्षित एसेट की मांग बढ़ गई। एमसीएक्स पर आज सोना करीब तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। सोमवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 20 पैसे गिरकर 75.56 पर आ गया।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार के मुताबिक, यूक्रेन संकट पर बढ़े तनाव के साथ अल्पावधि के लिए सेंटीमेंट नेगटिव हो गए हैं। वैश्विक बाजारों में कमजोरी यूक्रेन संकट का सीधा नतीजा है। अमेरिका ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन के आक्रमण में रूस का आक्रमण संभव हो सकता है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सप्ताहांत की वार्ता किसी भी नए हल पर पहुंचने में विफल रही। अब ध्यान जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ की यूक्रेन की यात्रा और अगले दिन राजनयिक वार्ता के लिए रूस की यात्रा पर है। भू-राजनीतिक तनाव जोखिम वाले परिसंपत्ति बाजारों के लिए एक और झटका है, यह पहले से ही उच्च मुद्रास्फीति और फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका को लेकर चिंतित हैं।

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