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तुर्की और सीरिया में भूकंप के मलबे से जिंदा निकाले बाद हो रही लोगो की मौत -जाने वजह


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नई दिल्ली – तुर्की और सीरिया में .बचाव व राहत अभियान में काफी लोगों को मलबे से जिंदा निकाल लिया गया है. ये सिलसिला अभी तक जारी है. एक शख्‍स 45 साल के शख्‍य को तो 12 दिन बाद मलबे के नीचे सुरक्षित निकालने में बचाव दलों को सफलता मिली. वहीं, मलबे के ढेर से 4 दिन बाद सुरक्षित निकली गईं जैनब की कुछ घंटों बाद अस्‍पताल में मौत हो गई.

जिसकी वजह से मलबे से सुरक्षित निकाली गईं और हंसती हुई अस्‍पताल जा रही जैनब की मौत हो गई. तुर्की और सीरिया में ही नहीं, पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें मलबे से सुरक्षित निकाले गए लोगों की बाद में मौत हो गई. डॉक्‍टर्स का कहना है कि उनकी मौत की लाखों वजह हो सकती हैं. हो सकता है कि इमारत ढहने और मलबे में दबने के दौरान या रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन के दौरान उनके शरीर में अंदरूनी चोटें आई हों, जिनका तुरंत पता ना लगा हो और उनकी मौत हो गई हो.

डॉ. हैब्‍र्स्‍ट मलबे से जिंदा बचने के बाद होने वाली मौतों को ‘रेस्‍क्‍यू डेथ’ कहते हैं. उनका कहना है कि हाइपोथर्मिया के कारण भी जैनब की मौत हो सकती है. उनके मुताबिक, भूकंप वाले इलाकों में बर्फीली ठंड के कारण मलबे में फेसे लोगों की रक्‍त नलिकाएं सिकुड़ सकती हैं. इससे नसें स्किन के रास्‍ते शरीर के अंदर की ऊष्‍मा को बाहर नहीं निकलने देती हैं. फिर शरीर के कुछ हिस्‍सों में रक्‍त का तापमान बहुत ज्‍यादा गिर जाता है और कुछ हिस्‍सों में तापमान सामान्‍य या ज्‍यादा हो जाता है. इससे शरीर में रक्‍त का प्रवाह असामान्‍य हो जाता है. इससे भी व्‍यक्ति की मौत हो सकती है.

भूकंप, सुनामी या दूसरी आपादाओं में किसी व्‍यक्ति की असामान्‍य हार्ट बीट उसकी मौत की वजह बन सकती है. कई बार मलबे से जिंदा निकलने पर भी ज्‍यादा खुशी के कारण व्‍यक्ति की हार्ट बीट बहुत बढ़ जाना मौत का कारण बन सकता है. अगर बचे हुए आदमी की हार्ट बीट को तुरंत सामान्‍य करने के लिए उपचार ना किया जाए तो उसकी मौत हो सकती है. वहीं, मलबे के नीचे लगातार एक स्थिति में रहने के कारण शरीर अकड़ जाता है. ऐसे में बचाने के बाद व्‍यक्ति के शरीर को सामान्‍य अवस्‍था में लाने के लिए बहुत ज्‍यादा हिलाना पड़ता है. इससे उनकी नसें खुल जाती हैं और ठंडे खून का प्रवाह बढ़ जाता है. इससे भी हार्ट बीट असामान्‍य होकर मौत का कारण बन सकती है.

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