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विश्व

इन शर्तों की वजह से भारतीय विद्यार्थी फस गए यूक्रेन

नई दिल्ली – भारतीय विद्यार्थियों के समय रहते यूक्रेन से नहीं निकल पाने के पीछे कई वजह रहीं। इसमें सबसे अहम वहां के विश्वविद्यालयों की गंभीर शर्ते रहीं, जिन्होंने उनको ऐसे हालत में भी वहां ठहरने के लिए मजबूर किया। दूसरा, वहां भारतीय दूतावास ने भी शुरआत में स्थिति बिगड़ने की आशंका के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं दी। जब तक हालात की गंभीरता को समझकर दूतावास ने तुरंत यूक्रेन छोड़ देने की एडवाइजरी जारी की, तब तक काफी देर हो चुकी थी। रही-सही कसर विमानन कंपनियों ने पूरी कर दी। उन्होंने मौके का फायदा उठाकर किराया बढ़ा दिया, जो विद्यार्थियों के वहां से निकलने में बाधक बना। इस बीच कई उड़ानें रद होने से भी विद्यार्थी वहां फंस गए।
यूक्रेन से वापस आए बठिंडा के छात्र शुभकर्मन सिह ढिल्लों और मानसा के गांव रल्ला की सुखप्रीत कौर ने बताया कि यही कारण रहा कि शुरुआत में वह लौटने का निर्णय नहीं ले सके।

यूक्रेन के विश्वविद्यालयों की कक्षाओं में शत-प्रतिशत हाजिरी जरूरी है। हाजिरी कम होने पर परीक्षा में बैठने से रोक दिया जाता है। इसके अलावा एक दिन अनुपस्थित रहने पर जुर्माना भी लगता है जोकि भारतीय मुद्रा में 2400 रपये के बराबर तक होता है।यूक्रेन की अधिकांश मेडिकल यूनिवर्सिटियों को भारतीय मूल के लोगों ने ही ठेके पर ले रखा है, जिनका प्रबंधन भी वही देखते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को इसलिए रोके रखा, ताकि फरवरी माह में होने वाले नए दाखिलों पर कोई असर न पड़े। भारत लौटे कुछ छात्रों ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि भारतीय मूल के प्रबंधकों को इस बात की आशंका थी कि अगर भारतीय विद्यार्थी यूक्रेन से लौटना शुरू कर देंगे तो नए विद्यार्थी डर की वजह से यूक्रेन आकर दाखिला नहीं कराएंगे।

खार्कीव नेशनल यूनिवर्सिटी के छात्र अर्पित कटियार ने बताया कि 15 फरवरी को जारी भारतीय दूतावास की एडवाइजरी, यूक्रेन की स्थिति की गंभीरता को नहीं दर्शाती है, क्योंकि इसमें कहा गया था कि छात्र अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ने पर विचार कर सकते हैं, जबकि तुरंत छोड़ने की सलाह दी जानी चाहिए थी। इस एडवाइजरी ने कई विद्यार्थियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि स्थिति इतनी जल्द भयावह नहीं हो सकती है। 20 फरवरी को दूसरी एडवाइजरी में भारतीय दूतावास ने यूक्रेन को तत्काल छोड़ने को कहा। इस बीच उन्होंने व उनके दोस्तों ने टिकट बुक करने की कोशिश की। कुछ दोस्तों को तो 24 फरवरी की फ्लाइट में सीट मिल गई, लेकिन उन्हें नहीं मिली। दोस्त 24 फरवरी की फ्लाइट पकड़ने के लिए कीव को निकले थे। इस बीच युद्ध शुरू होने के कारण फ्लाइट रद हो गई और वे भी कीव में ही फंस गए।

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