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झारखंड में फिर से लंपी वायरस का कहर,दूध के उत्‍पादन पर पड़ रहा असर


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नई दिल्लीः लंपी वायरस से फैलने वाली पशुओं की खतरनाक बीमारी झारखंड में कहर बरपा रही है। राज्य के चतरा, गढ़वा, पलामू, लातेहार, साहिबगंज, गोड्डा, दुमका, गुमला, रामगढ़, हजारीबाग में पिछले एक हफ्ते में बड़ी संख्या में पशुओं की मौत हो गई है। विभिन्न जिलों से मिली सूचनाओं के मुताबिक, लगभग एक हजार से ज्यादा मवेशियों की जान चली गई है। सूखे के बाद अब पशुओं में फैली इस बीमारी से किसानों और पशुपालकों के बीच हाहाकार है।

झारखंड में पिछले वर्ष कई मवेशियों की जान लेने वाले लंपी वायरस ने फिर से राज्य में सर उठाना शुरु कर दिया है. लोहरदग्गा जिले में कई जगहों पर इस वायरस की मौजूदगी के निशान मिले हैं. इसको लेकर एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं. इस दौरान मवेशियों से सैंपल क्लेक्ट किये गए हैं. जिनकी जांच भोपाल में करायी जाएगी. जांच के बाद ही कुछ भी स्पष्ट रुप से कहा जा सकेगा.दुमका और साहिबगंज के बाद अब गोड्डा में लंपी वायरस का कहर सिर चढ़कर बोल रहा है। बता दें कि इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में दुधारू पशुओं में यह बीमारी फैल रही है। इसे देखते हुए मवेशियों का टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। विभाग की ओर से लगभग छह लाख पशुओं को लंपी वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है।

लंपी बीमारी मच्छर या खून चूसने वाले कीड़ों से मवेशियों में फैलती है.ये स्किन डिजीज वायरस से होने वाला संक्रामक गांठदार त्वचा रोग है. ये मवेशियों में ज्यादातर गाय, भैंस को होती है. संक्रमित होने के दो-तीन दिनों के अंदर मवेशी को हल्का बुखार आता है फिर शरीर पर गांठदार दाने निकल आते हैं. जिसके बाद कुछ गांठ घाव में बदल जाते हैं. मवेशी की नाक बहती है, पैरों में सूजन व मुंह से लार आता है तथा दूध कम हो जाता है. गर्भावस्था में इससे मवेशी को मिसकैरेज हो सकता है. इसके अलावा उनकी त्वचा को स्थायी नुकसान भी हो सकता है.इससे प्रभावित मवेशियों में मृत्यु दर लगभग 5 प्रतिशत है.पशुपालन विभाग ने चतरा, गोड्डा, साहिबगंज, गुमला, लोहरदगा आदि जिलों में बीमार पशुओं में इससे मिलते-जुलते लक्षण पाए गए हैं। इसके बाद सभी जिलों में पशुओं के लिए टीकाकरण का अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन शिकायत मिल रही है कि पर्याप्त संख्या में टीकों की उपलब्धता नहीं है। इस वायरस के खतरे को देखते हुए विभाग के उच्चाधिकारियों ने सभी जिला पशुपालन पदाधिकारी और नोडल पदाधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं।

इसमें एलएसडी (गोट पॉक्स) वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाता है. इस वेक्सीन का टीकाकरण किया जाता है.फिलहाल तो पर्याप्त मात्रा में ये उपलब्थ है. उम्मीद है इससे नियंत्रित कर लिया जाएगा. चूंकि लंपी स्किन डिजीज अधिक तापमान और नमी में तेजी से और अधिक आसानी से फैलता है. इसलिए बारिश के सीजन को देखते हुए इसके फैलाव की आशंका जताई गई है.जिले में लंपी वायरस की चपेट में आए मवेशियों का टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। विभाग की ओर से लगभग छह लाख पशुओं को लंपी वायरस से बचाव के लिए टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। बता दें कि इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में दुधारू पशुओं में उक्त बीमारी फैल रही है।

पदाधिकारियों को कहा गया है कि इस तरह की बीमारी से संक्रमित पशु अगर उनके जिले में पाए जाएं, तो नमूने को कोल्ड चेन में रख कर शीघ्र संस्थान को भेजें। बीमारी पर रोक-थाम के अभियान के मद्देनजर पशुपालन अधिकारियों की छुट्टी पर रोक लगा दी गई है। उन्हें निर्देश दिया गया कि अति आवश्यक परिस्थिति में ही अवकाश के लिए आवेदन दें।वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए डीसी जिशान कमर की ओर से जिला पशुपालक पदाधिकारी डा. मनोज कुमार सिंह को सभी प्रखंडों में डोर टू डोर सर्वे कर प्रभावित पशुओं का टीकाकरण शुरू करने का निर्देश दिया गया है। बुधवार को सदर प्रखंड के अलावा पोड़ैयाहाट, पथरगामा, मेहरमा और ठाकुरगंगटी प्रखंड में पशुओं का टीकाकरण अभियान चलाया गया।

पशुपालकों का कहना है कि इस बीमारी के लक्षण उभरने के एक से डेढ़ हफ्ते के भीतर पशुओं की मौत हो जा रही है। जिलों में लंपी वायरस और इसके चलते मवेशियों में आ रही बीमारियों की रोकथाम से बचाव के लिए पशुपालकों को जागरूक करने का अभियान भी विभाग ने शुरू करने का निर्णय लिया गया है। लंपी एक विषाणु जनित संक्रामक बीमारी है। यह मुख्यतः गोवंश को संक्रमित करता है। यह रोग मुख्य रूप से संक्रमित मक्खियों, मच्छरों के काटने से होता है।मेहरमा में प्रखंड पशु पालन पदाधिकारी डा. रीता चौधरी ने बताया कि गांवों में पशुपालकों के सर्वे के अनुरूप अलग-अलग टीमों को टीकाकरण कार्य के लिए लगाया गया है।मेहरमा प्रखंड की माल परतापपुर पंचायत के ताजोचक गांव में मो मकबूल व मो फैयाज के पशुओं में लंपी वायरस का लक्षण पाए जाने पर टीकाकरण किया गया। कई अन्य गांवों में भी पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है।

इधर, ठाकुरगंगटी प्रखंड में पशुपालन पदाधिकारी डा बालेश्वर प्रसाद निराला के नेतृत्व में टीकाकरण शुरू किया गया है। बताया जाता है कि गोड्डा जिला दुग्ध उत्पादन के लिए पूरे संताल में अव्वल है। यहां लंपी वायरस के कारण दुधारू पशुओं से दुग्ध उत्पादन पर असर पड़ा है।मिल्क रूट पर हर दिन दुग्ध संग्रह में भी कमी आ गई है। बीते दिनों यहां पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव ने इस मामले में जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया था। इसके बाद डीसी के स्तर से टीकाकरण के लिए विभागीय अभियान तेज किया गया।

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