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भारत रूस, यूक्रेन मुद्दे पर इतनी सावधानी क्यों बरत रहा है?


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INDIA UKRAINE : भारत के लिए, यूक्रेन संकट एक कड़ा कदम रहा है जिसने इसे “पुराने दोस्त रूस और “पश्चिम में नए दोस्तों” के बीच धर्म संकट की स्थिति मे डाल दिया है। भारत ने रूसी आक्रमण की एकमुश्त निंदा करना बंद कर दिया है। भारत रूस और पश्चिम के देशों के साथ अपने संबंध खराब नहीं करना चहता, संयुक्त राष्ट्र में भी फ्रांस भारत का महत्वपूर्ण मित्र रहा है। इस लिए भारत दोनों के मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया देने से बच रहा है।

अमेरिका और यूरोप के क्षेत्रों में बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय हैं। रूस भारत का रक्षा हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। भारत रूस में बने 272 Su 30 फाइटर जेट का संचालन करता है। इसमें आठ रूसी निर्मित किलो वर्ग की पनडुब्बी और 1,300 से अधिक रूसी टी -90 टैंक हैं। अमेरिकी दबाव के बावजूद, भारत रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली S-400 वायु रक्षा प्रणाली की खरीद पर अडिग रहा है। भारत ने मिसाइल सिस्टम खरीदने के लिए 2018 में रूस के साथ 5 अरब डॉलर का समझौता किया था।

अधिकारियों के द्वारा बताया कि रूस भारत के सभी मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के साथ खड़ा रहा है। अमेरिका ने भी रूस के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया के लिए भारत पर दबाव बढ़ा दिया है।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से बात करते हुए, अमेरिका द्वारा रूस के “यूक्रेन पर पूर्व नियोजित, अकारण और अनुचित हमले” की निंदा करने के लिए “मजबूत सामूहिक प्रतिक्रिया” के महत्व पर जोर दिया था। आगे भारत का रुख क्या होगा वो चर्चा का विषय है।

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