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Ukraine and Russia -क्या है रूस का ऑपरेशन Z, क्या है अटैक के पीछे की पूरी कहानी


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नई दिल्ली – रूस के लिए यूक्रेन इतना अहम क्यों है। बता दें कि यूक्रेन को लेकर रूस ने ऑपरेशन Z शुरू किया है। दरअसल यूक्रेन और रूस के बीच ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक से जुड़े संबंध तो हैं ही लेकिन साथ सुरक्षा का मुद्दा उसके लिए सबसे अहम है।

यूक्रेन की रूस के साथ 2200 किमी से ज्यादा लंबी सीमा है। रूस का मानना है कि अगर यूक्रेन NATO से जुड़ता है तो NATO सेनाएं यूक्रेन के बहाने रूसी सीमा तक पहुंच जाएंगी। ऐसे में उसकी सुरक्षा को खतरा होगा। रूस चाहता है कि यूक्रेन नाटो का हिस्सा न बनें। गौरतलब है कि सोवियत संघ के टूटने के बाद 15 से अधिक यूरोपीय देश NATO में जा चुके हैं। अब उसकी नजर यूक्रेन पर है। इसी का भय रूस को सता रहा है।

यूक्रेन में अधिक संख्या में रूसी आबादी है। मास्को ने पिछले एक दशक में 500,000 से अधिक लोगों को रूसी पासपोर्ट प्रदान करके इस समुदाय का समर्थन किया है। 2001 में आयोजित हुई जनगणना के अनुसार यूक्रेन में लगभग आठ मिलियन रूसी रहते हैं। जिसमें ज्यादातर दक्षिण और पूर्व में रहते हैं।

दक्षिणपूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों को समर्थन देने को लेकर व्लादिमीर पुतिन का तर्क है कि वो जातीय रूसियों के हितों की रक्षा कर रहे हैं। एक डर है यह भी है कि पुतिन अन्य पड़ोसी राज्यों पर नियंत्रण हासिल करने के लिए यूक्रेन की तरह की रणनीति अपनाएंगे। जैसा कि 2006 में क्रीमिया और जॉर्जिया दोनों में किया गया था।

शीत युद्ध के दौरान, ब्लैक सी में सोवियत संघ प्रमुख शक्ति बन गया। हालांकि, साम्राज्य के पतन के बाद, रूस ने इस क्षेत्र में अपना अधिकांश क्षेत्र खो दिया तो वहीं पूर्व सोवियत राज्य धीरे-धीरे पश्चिम के करीब आ गये। बता दें कि रूस का यूक्रेन के साथ एक समझौता हुआ जिसने उन्हें ब्लैक सी में बेड़े को विभाजित करने की अनुमति दी थी।

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