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यूक्रेन पर रूस के हमले से दहशत में आए ये देश, अगला नंबर किसका


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कराची – रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश के बाद यूक्रेन में रूसी सैनिकों ने हमला शुरू कर दिया है। इस हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा एवं प्रतिबंधों को नजरंदाज करते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अन्य देशों को चेतावनी दी कि रूसी कार्रवाई में किसी प्रकार के हस्तक्षेप के प्रयास ‘‘के ऐसे परिणाम होंगे,जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखे होंगे.”

रूस के इस हमले के बाद यूक्रेन में काफी अलग ही मंजर देखने को मिल रहा है. जहां एक ओर जगह-जगह धुएं का गुबार उठता दिख रहा है. वहीं सड़कों और एटीएम के बाद लोगों और गाड़ियों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. रूस ने कहा कि उसने यूक्रेन की सेना की हवाई रक्षा संपत्तियों और सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया है. रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रूस के हमलों ने ‘‘यूक्रेन की सेना के हवाई रक्षा संपत्तियों को नष्ट कर दिया है, साथ ही यूक्रेन के सैन्य ठिकानों के बुनियादी ढांचों को नेस्तनाबूद कर दिया है.’’यूक्रेन की सेना ने कहा कि उसने रूस के पांच विमानों को मार गिराया है.

वहीं रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद बाल्टिक देश एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया भी बहुत चिंतित हैं। बता दें कि ये देश सोवियत संघ का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में यहां के लोग इस बात से चिंतित हैं कि वे अगला लक्ष्य हो सकते हैं। यूक्रेन पर रूसी हमले ने यहां के लोगों को निर्वासन और उत्पीड़न की यादें ताजा कर दी हैं। लिथुआनिया की राजधानी विनियस में 50 वर्षीय शिक्षक जौनियस काजलौस्कस ने न्यूज एजेंसी एपी से बात करते हुए कहा है कि मेरे दादा-दादी को साइबेरिया भेज दिया गया था। मेरे पिता को रूसी खुफिया एजेंसी केजीबी ने सताया था। अब मैं एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश में रहता हूं, लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ भी हल्के में नहीं लिया जा सकता है।

एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया और तीनों मौजूदा वक्त में नाटो के सदस्य हैं। ये देश 2004 में नाटो में शामिल हो गए थे। बता दें कि यूक्रेन नाटो का हिस्सा नहीं है। बाल्टिक देश और पोलैंड मॉस्को पर कठोर प्रतिबंधों की मांग करते रहे हैं। लिथुआनियाई विदेश मंत्री गेब्रियलियस लैंड्सबर्गिस ने हाल ही में कहा था कि यूक्रेन की लड़ाई यूरोप की लड़ाई है। अगर पुतिन को वहां नहीं रोका गया, तो वह आगे बढ़ जाएंगे।

लातविया के रक्षा मंत्रालय के राज्य सचिव जेनिस गैरिसन ने कहा है कि रूस हमेशा सैन्य ताकत को मापता है लेकिन इसके साथ ही वह देशों की लड़ने की इच्छा को भी देखता है। एक बार जब वह एक कमजोरी देखते हैं, तो वह उस कमजोरी का फायदा उठाएंगे। लिथुआनियाई रक्षा मंत्री अरविदास अनुसुस्कस ने कहा है कि ऐसा लगता है कि वे जाने वाले नहीं हैं लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि संख्या का मतलब सब कुछ नहीं है। हमारी सीमा पर तकनीकी रूप से बहुत उन्नत सैनिक हैं जो कि अपने काम में निष्णात हैं।

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