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बर्थ सर्टिफिकेट के लिए ‘प्रधानमंत्री’ को 3 महीने करनी पड़ी मेहनत, जानिए क्या हुआ


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मुंबई: आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रधानमंत्री को अपना बर्थ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए तीन महीने तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी. लेकिन यह प्रधानमंत्री दिल्ली में नहीं बल्कि महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले में रहते हैं। दरअसल यह प्रधानमंत्री एक किसान के बेटे का नाम है।

महाराष्ट्र सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी बर्थ सर्टिफिकेट पर किसान ने बच्चे का पंतप्रधान लिखा है। महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री को पंतप्रधान कहा जाता है।

“मैंने तीन महीने सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटे”
महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले के उमरगा तालुका के चिंचोली गांव के रहने वाले दत्तात्रेय चौधरी ने अपने बेटे को प्रधानमंत्री नाम दिया है, लेकिन इस नाम का बर्थ सर्टिफिकेट लेने के लिए उन्हें तीन महीने तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े. शुरुआत में ूँजें इस बात से इनकार किया गया कि बच्चे का नाम प्रधानमंत्री नहीं रख सकते क्योंकि यह एक संवैधानिक पद है। दत्तात्रेय चौधरी ने भी हार नहीं मानी और अपने बेटे के लिए प्रधानमंत्री नाम स्वीकार करवा कर लिया।

सबसे बड़े बेटे का नाम राष्ट्रपति रखा था
दत्तात्रेय चौधरी ने सबसे पहले साल 2020 में पैदा हुए अपने सबसे बड़े बेटे का नाम राष्ट्रपति रखा। जब उनके दूसरे पुत्र का जन्म हुआ, तो उनका नाम पंतप्रधान रखा गया।

यह है पिता की इच्छा
दत्तात्रेय चौधरी का कहना है कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का नाम रखने के पीछे का विचार यह है कि उनके बच्चे प्रेरित होंगे और उनका सपना अपने बच्चों को एक दिन एक बड़े संवैधानिक पद पर पहुंचाना है।

एक किसान परिवार में जन्मे दत्तात्रेय चौधरी का बचपन मुश्किलों भरा था। कई बार सूखे की वजह से फसल खराब हो जाती थी और दो वक्त के भोजन की समस्या हो जाती थी। गरीबी में भी दत्तात्रेय चौधरी ने अपने सपनों को मरने नहीं दिया और अपनी पढ़ाई जारी रखी। अब वह चाहते हैं कि उनके दोनों बेटे अपनी पढ़ाई जारी रखें और एक दिन प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पद पर आएं।

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