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शादीशुदा महिला के प्यार में पड़ गए थे जगजीत सिंह, 30 रुपये में की थी शादी


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मुंबई – जगजीत सिंह, एक ऐसा नाम जिसे सदियों तक याद रखा जाएगा. अपनी मखमली आवाज़ से हर एहसास को ज़बां देने वाले जगजीत सिंह आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं मगर उनकी ग़ज़लें लोगों के दिल और ज़हन में हमेशा ज़िंदा रहेंगी. ग़ज़ल सम्राट के नाम से मशहूर हुए जगजीत सिंह की आज बर्थ एनिवर्सरी (Jagjit Singh Birth Anniversary) यानी बर्थडे है. 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्री गंगानगर में जन्मे जगजीत सिंह के पिता का नाम अमर सिंह धीमान व माता का नाम सरदारनी बच्चन कौर है. अपनी रूहानी आवाज़ से लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाने वाले जगजीत सिंह को संगीत पिता से विरासत में मिला.

‘होठों से छू लो तुम’, ‘झुकी झुकी सी नजर’, ‘होश वालों को खबर क्या’, ‘चिट्ठी न कोई संदेश’, ‘ये दौलत भी ले लो’ जैसे अनगिनत ग़ज़लों और नज़्मों ने जगजीत सिंह को अमर बना दिया है. आज हम आपको उनकी ज़िंदगी से जुड़ी कुछ खास और दिलचस्प बातें बताएंगे जो शायद आप अब तक नहीं जान पाए हो. जगजीत की पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों लाइमलाइट में रही है.

– बहुत कम लोग जानते होंगे कि जन्म के बाद ग़ज़ल सम्राट का नाम जगमोहन रखा गया था, लेकिन बाद में इनके सिख पिता ने अपने गुरु की सलाह से इनका नाम बदलकर जगजीत सिंह रख दिया.

– जगजीत सिंह ने अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो (AIR) जालंधर स्टेशन से गायन और रचना का कार्य करके की.

– मुंबई आने के बाद जगजीत सिंह को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. पेट पालने के लिए उन्होंने छोटी छोटी संगीत सभा और घर के कार्यक्रम में गाने गाए. फिल्मों में ब्रेक पाने की उम्मीद में फिल्म पार्टियों में गाना भी गाते थे.

– सत्तर का दशक जगजीत सिंह के लिए बेहतर रहा. इसी दशक में उनकी पहली अल्बम रिलीज हुई ‘अनफॉरगेटेबल्स’.

– जगजीत ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत 1994 में फिल्म ” अविष्कार ” के गाने “बाबुल मोरा नैहर” से की थी.

– कम ही लोग जानते हैं कि चित्रा ने जगजीत सिंह से दूसरी शादी की थी. उनकी पहली शादी देबू प्रसाद दत्ता से हुई थी, जिनसे उन्हें एक बेटी मोना भी थी.

– कहा जाता है कि सिर्फ 30 रुपये में जगजीत सिंह और चित्रा की शादी हो गई. तबला वादक हरीश ने इनकी शादी का सारा इंतजाम किया है.

– जगजीत और चित्रा का एक बेटा भी था. लेकिन साल 1990 में कार में सफर के दौरान दुर्घटना में उनके बेटे विवेक की 18 साल की उम्र में मृत्यु हो गई थी. इस हादसे ने दोनों को तोड़ दिया था. बताया जाता है कि इस सदमे के बाद चित्रा ने गायिकी से काफी वक़्त के लिए दूरी बना ली तो वहीं जगजीत साहब की काफी वक़्त तक बोलती बंद हो गई थी.

– साल 2005 में जगजीत साहब को दिल्ली सरकार द्वारा गालिब अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था वहीं भारत सरकार ने भी साल 2003 में पद्म भूषण से उन्हें नवाज़ा था.

– 2014 में, भारत सरकार ने जगजीत सिंह के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट जारी किया था.

– 10 अक्टूबर 2011 को मुंबई के लीलावती अस्पताल में जगजीत सिंह के रूप में भारत ने एक बेहतरीन गायक खो दिया.

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