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कोरोनालाइफस्टाइल

कोरोना और ओमिक्रॉन के खिलाफ असरकारक है ये ‘सुरक्षा कवच’


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नई दिल्ली – दुनियाभर में ओमिक्रोन के मामलों के साथ ही कोरोना के मामलों में आई तेजी चिंता का विषय है। इस वक्त कोरोना महामारी का खौफ है और हर जगह महामारी को कंट्रोल करने के प्रयास जारी है। इस बीच वैज्ञानिकों ने लोगों को एक राहतभरी खबर दी है जिसे जानकर आपके भीतर का डर जरूर कम हो जाएगा। लगातार विशेषज्ञ इसके प्रति पैनिक न करने लेकिन कोरोना संबंधी नियमों और सावधानियों का कड़ाई से पालन करने की अपील कर रहे है।

ओमिक्रोन को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण को रोकने के लिए कोविड व्‍यवहार में सबसे ज्‍यादा जरूरी मास्‍क है। वैक्‍सीन रोग की गंभीरता को जरूर कम कर सकती है लेकिन इसके संक्रमण को फैलने से रोकने में मास्‍क कारगर है। मास्‍क पहनने से संक्रमण के फैलाव को कम किया जा सकता है। अगर मास्‍क पहनने वाले 100 फीसदी हो जाएं तो कोरोना संक्रमण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। विश्‍व में कोरोना जब से शुरू हुआ तभी से मास्‍क पहनने के लिए कहा जा रहा है। इसका सीधा कारण है वायरस का एयरोसोल या ड्रॉपलेट के माध्‍यम से नाक या मुंह से व्‍यक्ति के शरीर में प्रवेश करना। ऐसे में जब दो लोग मास्‍क लगाकर रखते है तो संक्रमण का आदान-प्रदान होने की संभावना घट जाती है। ऐसे में मास्‍क पहनना संक्रमण से बचने का प्राथमिक और बेहतर उपाय है।

‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक इंपीरियल कॉलेज लंदन के साइंटिस्ट ने अपनी स्टडी में पाया कि खांसी और जुकाम से टी-सेल यानी रक्त कोशिकाओं को बढ़ावा मिलता है जो कि वायरस की डिटेक्ट करने में कारगर साबित होती है। इसके अलावा कोविड में सूंघने की क्षमता प्रभावित होने से भी हमारी इम्युनिटी मजबूत होती है। जब हम किसी वायरस से संक्रमित होते हैं तो बॉडी में टी-सेल बनने लगती हैं और इनके जरिए हम कोविड के किसी इंफेक्शन से बचाव के लिए तैयार हो जाते हैं। यह सुरक्षा का केवल एक ही तरीका है और किसी को भी सिर्फ इस पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

डॉक्टर रिया कुंडू के मुताबिक कोरोना से बचने का सबसे कारगर तरीका वैक्सीनेशन ही है और सभी को पूरी तरह वैक्सीनेट होना जरूरी है, साथ ही बूस्टर डोज भी लगवानी चाहिए। यह स्टडी 52 लोगों के एक ग्रुप पर की गई है जो कि कोरोना संक्रमित लोगों के साथ रह रहे थे। लेकिन इनमें से सिर्फ आधे ही संक्रमित हुए थे। ब्लड टेस्ट से पता चला कि जो 26 लोग संक्रमण का शिकार नहीं हुए उनमें टी-सेल का लेवल काफी ज्यादा था क्योंकि वह पहले किसी अन्य कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके थे। ऐसे कम से कम 4 अन्य तरह के कोरोना वायरस है जो आमतौर पर किसी इंसान को संक्रमित करते है। ऐसे वायरस से संक्रमित हर 5 में एक को कोल्ड होता है।

स्टडी में यह भी पता चला कि जिनकी बॉडी में टी-से ज्यादा है उन पर सभी कोरोना वायरस का एक जैसा असर दिखता है जो कि अन्य वायरस के खिलाफ बग की तरह काम करती है। साथ ही उन्हें बॉडी में दाखिल होने से रोकती है। टी-सेल उन वायरस के खिलाफ काम करती हैं जो ज्यादा बार म्यूटेट नहीं हो पाए हों। यही वजह है कि हमारी पुरानी वैक्सीन अभी भी नए कोविड वेरिएंट के खिलाफ काम कर रही है, भले ही शरीर की एंटीबॉडी कम प्रभावी क्यों न हो गई हों। इस क्रॉस-प्रोटेक्शन का मतलब है कि यह एक ऐसा सेफ्टी गार्ड है जो सभी कोरोना वायरस के खिलाफ काम करेगा

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