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Russia-Ukraine Crisis : जंग हुई तो भारत पर इन चीजों पर पड़ेगा असर


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नई दिल्ली – पिछले कुछ दिनों से दुनिया भर की निगाहें यूक्रेन-रूस बॉर्डर पर लगी हुई हैं. दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव बढ़ने से दुनिया के ऊपर तीसरे विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है. अब इस जंग का जोखिम सिर्फ पूर्वी यूरोप तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि अमेरिका (US) और भारत (India) तक इसकी आंच में झुलसने लगे हैं.

दुनिया भर के शेयर बाजारों में चौतरफा बिकवाली का आलम है. इस तनाव से भारत की इकोनॉमी और ट्रेड को ठीक-ठाक नुकसान हो सकता है. भारत में यूक्रेन के दूतावास की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2020 में दोनों देशों के बीच 2.69 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था. इसमें यूक्रेन ने भारत को 1.97 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जबकि भारत ने यूक्रेन को 721.54 मिलियन डॉलर का निर्यात किया. यूक्रेन भारत को खाने वाले तेल, खाद समेत न्यूक्लियर रिएक्टर और बॉयलर जैसी जरूरी मशीनरी एक्सपोर्ट करता है. वहीं यूक्रेन भारत से दवाएं और इलेक्ट्रिकल मशीनरी खरीदता है.

ट्रेडिंग इकोनॉमिक्स के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में भारत ने यूक्रेन से 1.45 बिलियन डॉलर के खाने वाले तेल की खरीद की. इसी तरह भारत ने यूक्रेन से करीब 210 मिलियन डॉलर का खाद और करीब 103 मिलियन डॉलर का न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर मंगाया. न्यूक्लियर रिएक्टर व बॉयलर के मामले में भारत के लिए रूस के बाद यूक्रेन सबसे बड़े सप्लायर में से एक है. इसकी आपूर्ति में बाधा आने से न्यूक्लियर एनर्जी पर भारत का काम धीमा हो सकता है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं सामरिक मामलों के एक्सपर्ट डॉ सुधीर सिंह (Dr Sudhir Singh) कहते हैं कि इस विवाद से भारत के लिए कूटनीतिक परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. तनाव अधिक बढ़ जाने और व्यापक युद्ध की स्थिति बन जाने पर भारत को अपना स्टैंड लेना होगा. ऐसे में अमेरिका या रूस में से किसी का भी पक्ष लेना दूरगामी प्रभाव डाल सकता है. इस संकट से भारत को परेशानी हो रही है, जो सुरक्षा परिषद की वोटिंग में भारत के स्टैंड से साफ पता चलता है. आर्थिक तौर पर भी भारत के सामने चुनौतियां सामने आ सकती हैं. भारत कच्चा तेल के मामले में आयात पर काफी निर्भर है और रूस प्रमुख सप्लायर में से एक है. कच्चा तेल का भाव बढ़ेगा तो आयात का बिल बढ़ने के साथ ही घरेलू स्तर पर महंगाई का दबाव बढ़ने का खतरा रहेगा. इसके अलावा यूक्रेन में काफी संख्या में भारतीय विद्यार्थी मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं. जंग शुरू होने पर उनकी सुरक्षा की चिंता भी भारत के सामने है.

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