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भारत-चीन का रिश्‍ता : व्‍यापार में दोस्‍त और बॉर्डर पर दुश्‍मन ऐसा है रिश्ता


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नई दिल्ली – भारत और चीन के रिश्‍तों में सीमा विवाद पूरे साल छाया रहा। पूर्वी लद्दाख में जून 2020 में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा पर झड़प के बाद दोनों देशों के रिश्‍तों में तनाव चरम पर पहुंच गया, जो अब भी बरकार है। इस बीच व्‍यापार को लेकर दोनों देशों ने खूब ‘मित्रता’ दिखाई है। दोनों देशों के बीच व्‍यापार ने इस साल 100 अरब डॉलर का ऐतिहासिक आंकड़ा पार कर लिया है।

भारत और चीन ने इस साल तब एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की जब उनके द्विपक्षीय व्यापार ने 100 अरब डॉलर के ऐतिहासिक आंकड़े को पार कर लिया। हालांकि इसका दोनों देशों की राजधानियों में कोई खास उल्लेख नहीं हुआ क्योंकि बीजिंग द्वारा समझौतों का उल्लंघन किए जाने के चलते पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण एशिया के दो बड़े देशों के संबंध ‘‘विशेष रूप से खराब दौर’’ से गुजर रहे हैं।

दोनों देशों में कोई विशेष तवज्जो नहीं मिली, क्योंकि पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध पर द्विपक्षीय संबंधों में रूखापन है। भारत और चीन की सेनाओं के बीच सीमा गतिरोध पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पिछले साल पांच मई को शुरू हुआ था। बाद में, दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ ही भारी हथियारों के साथ अपनी तैनाती बढ़ाई। दोनों पक्षों ने अगस्त में गोगरा क्षेत्र में और फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा किया था। दोनों पक्षों के बीच 31 जुलाई को 12वें दौर की वार्ता हुई थी। कुछ दिनों बाद, दोनों सेनाओं ने गोगरा से पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी की थी। इसे क्षेत्र में शांति बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया। वर्तमान में इस पर्वतीय क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों की ओर से लगभग पचास-पचास हजार से अधिक सैनिक तैनात हैं।

जनवरी 2019 में बीजिंग में भारत के राजदूत के रूप में कार्यभार संभालने वाले मिसरी के लिए यह तैनाती सबसे कठिन कूटनीतिक चुनौती बन गई क्योंकि दोनों देश 2018 में वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच पहली अनौपचारिक शिखर बैठक तथा उसके बाद 2019 में चेन्नई में दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक बाद 2017 के डोकलाम गतिरोध से बाहर आए थे। हालांकि, पूर्वी लद्दाख गतिरोध से द्विपक्षीय संबंध फिर प्रभावित हुए। अपनी अनौपचारिक बातचीत में, मिसरी ने याद किया कि चेन्नई शिखर सम्मेलन से कितनी अधिक उम्मीदें थीं। उन्होंने उन महत्वपूर्ण पहलों पर प्रकाश डाला जिन्हें लागू करने के लिए मोदी और शी के बीच सहमति बनी थी। दोनों देशों ने एक उच्चस्तरीय आर्थिक और व्यापार वार्ता (एचईटीडी) तंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया था। इससे उम्मीद थी कि यह व्यापार घाटे से संबंधित भारत की चिंताओं सहित द्विपक्षीय व्यापार और व्यापार सहयोग से संबंधित सभी मुद्दों पर गौर करेगा।

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