Christmas Special : क्रिसमस पर क्यों सजाये जाते हैं पेड़, कहां से शुरू हुआ चलन, जानें पूरा इतिहास
मुंबई – क्रिसमस का नाम लेते ही दो बातें जेहन में आती हैं, पहली सैंटा क्लॉज और दूसरी क्रिसमस ट्री. इस सेलिब्रेशन के मौके पर क्रिसमस-ट्री को सजाया जाता है, लेकिन कभी सोचा है कि इसकी शुरुआत कहां और कैसे हुई. क्रिसमस ट्री को ईश्वर की ओर से दिए जाने वाले लम्बी उम्र के आशीर्वाद के तौर पर देखा जाता है. मान्यता है कि यह जिस घर इसे सजाया जाता है वहां के बच्चों के आयु लम्बी होती है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिसमस ट्री का चलन 16वीं शताब्दी में जर्मनी से शुरू हुआ था. क्रिसमस के मौके पर फर ट्री को सजाया जाता था. इस ट्री को आम भाषा में सनोबर भी कहते हैं. सेलिब्रेशन के दिन इस ट्री को लोग घर के बाहर लटकाते थे. वहीं, गरीब तबके के लोग जो इस पेड़ को नहीं खरीद पाते थे वो पिरामिड आकार वाली लकड़ी को सजाते थे. क्रिसमस ट्री में खाने की चीजें रखने का रिवाज भी जर्मनी से शुरू हुआ था. इसे कई तरह की चीजों से सजाया जाता था. जैसे- सोने के वर्क में सेब को लपेटकर इस पर लटकाया जाता था. इसके अलावा इसे सजाने में जिंजरब्रेड का इस्तेमाल किया जाता था. धीरे-धीरे इसे सजाने में कई तरह की चीजें शामिल की गईं.
धीरे-धीरे यह परंपरा दूसरे देशों में पहुंची. 19वीं शताब्दी में इसका चलन इंग्लैंड में भी शुरू हो गया. यहां से पूरी दुनिया में क्रिसमस के मौके पर ट्री सजाने का ट्रेंड चल पड़ा. ऐसा माना जाता है कि क्रिसमस ट्री का कनेक्शन प्रभु यीशू के जन्म से है. कई रिपोर्ट्स में भी इसका जिक्र भी किया गया है. मान्यता है कि जब प्रभु यीशू का जन्म हुआ तब उनके मात- पिता मरियम और जोसेफ को बधाई देने वालों में देवदूत भी शामिल थे। जिन्होंने सितारों से रोशन सदाबहार फर ट्री उन्हें भेंट किया। तब से ही क्रिसमस फर के पेड़ को क्रिसमस ट्री के रूप में मान्यता मिली।