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बेहतरीन फूड समोसा की हिस्ट्री के बारे में सुनकर आप भी रह जायेगे चकित


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मुंबई – हम सभी चटपटे खाने के काफी शौखिन होते है। अपने आसपास आपको ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं मिलेगा जिसे समोसा पसंद नहीं होगा। समोसा आज भारत की फेवरेट फूड में शामिल है। सर्दियों का मौसम हो और चाय के साथ गरमा-गरम समोसे हो जाएं तो बात ही क्या है। सच में आपमें से ज्यादातर लोगों के मुंह में समोसे का नाम सुनकर ही पानी आ गया होगा और सर्दियों की शाम के साथ इसका स्वाद जरूर याद आ गया होगा।

भारत में लोगों को समोसा इतना ज्यादा पसंद है कि वे इसे भारतीय फूड ही समझते है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की समोसा भारतीय नहीं बल्कि एक विदेशी डिश है। भारत में समोसा मैदे और आलू से बनता है। आप सभी के मन में कभी न कभी समोसे को लेकर एक ख्याल जरूर आया होगा कि आखिर स्वाद से भरा ये समोसा कैसे हमारे स्नैक्स का हिस्सा बना और कैसे इस चटपटी डिश ने हमारे टी टाइम को अमेजिंग बनाना शुरू कर दिया। चलिए हम आपको बताते है कि कैसे ये चटपटा स्नैक्स भारत में आया और क्या है इसकी कहानी।

समोसे के इतिहास की बात की जाए तो यह समोसा फारसी शब्द ‘सम्मोकसा’ से बना है। जब बात इसकी उत्पत्ति की आती है तो इसकी उत्पत्ति मुगलों के काल से हुई थी। ऐसा माना जाता है कि समोसा की उत्पत्ति 10वीं शताब्दी से पहले कहीं मध्य पूर्व में हुई थी। बात उस समय की है जब मुगलों का आगमन भारत में होता था। दरअसल, 21 अप्रैल, 1526 को महान मुगल पाक कला की एक श्रृंखला के साथ समोसे को लेकर भारत आए। जब 16वीं शताब्दी का मुगल दस्तावेज आइन-ए-अकबरी की बात की जाती है तो यह अपने समय में इन स्वादिष्ट व्यंजन की उपस्थिति की कहानी बयां करती है। मुगलों के साथ ही समोसा भारत आया और लोगों की जुबान पर इसका स्वाद कुछ ऐसा चढ़ा कि आज भी इसे निकाल पाना नामुमकिन ही है। आज के समय में यही समोसा हर एक गली और चौराहे में सजने लगा है और लोगों ने इसका स्वाद उठाना शुरू कर दिया है।

छोटे से ढाबे से लेकर फाइव स्टार होटल तक में आसानी से अपनी जगह बना चुका समोसा दरअसल ईरान से भारत आया। जब इसके इतिहास की बात आती है तो इसकी एक ऐसी कहानी प्रचलित है कि यह दसवीं सदी के दौरान महमूद गजनवी के दरबार में एक शाही व्यंजन की तरह पेश किया जाता था, जिसमें कीमा स्टफिंग होती थी। यह काफी हद तक समोसे जैसी ही होती थी। लेकिन समोसे को नया रूप तब मिला जब ये आलू की स्टफिंग के साथ अस्तित्व में आया। आधुनिक समय में यह समोसा मैश किए हुए आलू, हरी मटर, प्याज, हरी मिर्च और मिश्रित मसालों के मिश्रण के साथ एक बेहद स्वादिष्ट नाश्ता है जो किसी भी समय हमारी भूख को शांत करने का काम करता है।

इब्नबतूता ने 14वीं शताब्दी में भारत में दस्तक दी थी और इस दौरान उन्होंने मोहम्मद बिन तुगलक से मुलाकात की। तुगलक की ओर से उन्हें शाही भोज के लिए न्योता दिया गया। इब्नबतूता ने अपनी किताब में जिक्र किया है कि उन्हें भोज में समोसा भी परोसा गया था। उनके मुताबिक समोसे में मीट, बादाम, पिस्ता और मसाले मिक्स किए गए थे। भारत में सबसे पहले समोसे की शुरुआत उत्तर प्रदेश में हुई। शाकाहारी होने के चलते राज्य में इसे लोगों ने काफी पसंद किया और ये पूरे देश में फेवरेट डिश की लिस्ट में शामिल हो गया। भारत में मैदा में आलू भरकर उसे तलने के लिए कढ़ाई में डाला जाता है और यह तैयार होकर समोसा बनता है। लेकिन इतिहास में समोसे को तलने के बजाय सेंका या रोस्ट किया जाता था। भारत में इसे स्नैक्स के तौर पर खाया जाता है।

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