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खुशखबरी!! नए साल में कर्मचारियों को हफ्ते में मिलेगी तीन दिन छुट्टी


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नई दिल्ली – सबका साथ सबका विकास के मंत्र को आगे लेकर चलने वाली NDA सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर लेकर आयी है। काफी समय से मोदी सरकार की तरफ से चार लेबर कोड आने की चर्चा हो रही है, लेकिन अब तक इसे लागू नहीं किया जा सका है। अब उम्मीद जताई जा रही है कि यह लेबर कोड अगले साल आ सकता है। इससे कर्मचारियों की सैलरी से लेकर उनकी छुट्टियां और काम के घंटे भी बदल जाएंगे।

नए 4 लेबर कोड्स में वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (OSH) पर संहिता और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल है। इसके मुताबिक हफ्ते में चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी होगी। इसमें काम के घंटे आठ की बजाय 12 हो जाएंगे। अधिकारी ने इस नए लेबर कॉड्स के बारे में जानकारी देते हुए कहा की चार श्रम संहिताओं के अगले वित्त वर्ष 2022-23 में लागू होने की संभावना है, क्योंकि बड़ी संख्या में राज्यों ने इनके मसौदा नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। केंद्र ने फरवरी 2021 में इन संहिताओं के मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी कर ली थी, लेकिन चूंकि श्रम एक समवर्ती विषय है, इसलिए केंद्र चाहता है कि राज्य भी इसे एक साथ लागू करें।

श्रम मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि हफ्ते में 48 घंटे कामकाज का नियम ही लागू रहेगा। नई श्रंम सहिता में कई ऐसे प्रावधान हैं, जिससे ऑफिस में काम करने वाले वेतनभोगी कर्मचारियों से लेकर मिलों और फैक्ट्रियों में काम कर वाले मजदूरों तक पर असर पड़ेगा। केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया था कि व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर श्रम संहिता के मसौदा नियमों को कम से कम 13 राज्य तैयार कर चुके है। इसके अलावा 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने मजदूरी पर श्रम संहिता के मसौदा नियमों को तैयार किया है। औद्योगिक संबंध संहिता के मसौदा नियमों को 20 राज्यों ने और सामाजिक सुरक्षा संहिता के मसौदा नियमों को 18 राज्यों ने तैयार कर लिया है। इस लेबर कोड के आने के बाद हफ्ते में दो के बजाय 3 छुट्टियां भी मिल सकेंगी। ओवरटाइम भी मिलेगा।

मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक संबंध और व्यवसाय सुरक्षा तथा स्वास्थ्य और काम करने की स्थिति पर चार श्रम संहिताओं को अगले वित्त वर्ष तक लागू किए जाने की संभावना है। केंद्र ने इन संहिताओं के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है और अब राज्यों को अपनी ओर से नियम बनाने हैं, क्योंकि श्रम समवर्ती सूची का विषय है। विशेषज्ञों का कहना है कि नए कानून से कर्मचारियों के मूल वेतन (बेसिक) और भविष्य निधि (पीएफ)की गणना के तरीके में बड़ा बदलाव आएगा। इससे एक तरफ कर्मचारियों के पीएफ खाते में हर महीने का योगदान बढ़ जाएगा लेकिन हाथ में आने वाला वेतन (टेक होम) घट जाएगा। नई श्रम संहिता में भत्तों को 50 फीसदी पर सीमित रखा गया है। इससे कर्मचारियों के कुल वेतन का 50 फीसदी मूल वेतन हो जाएगा।

नए ड्राफ्ट कानून के तहत रोजाना काम के अधिकतम घंटों को बढ़ाकर 12 करने का प्रस्ताव है। वहीं हफ्ते में 48 घंटे काम काम करना होगा। यानी रोज 8 घंटे काम करने पर सप्ताह में 6 दिन काम करना होगा, लेकिन रोज 12 घंटे काम करने पर सिर्फ 4 दिन ही काम करना होगा और 3 दिन छुट्टी मिल सकती है। यानी अगर कंपनी चाहे तो इस तरह व्यवस्था भी कर सकती है कि कर्मचारी से हफ्ते में सिर्फ 4 दिन 12-12 घंटे काम करवा ले और बाकी तीन दिन छुट्टी दे दे। नए लेबर कोड के नियमों के मुताबिक किसी भी कर्मचारी से 5 घंटे से अधिक लगातार काम कराने की इजाजत नहीं है। 5 घंटे के बाद कर्मचारी को आधे घंटे का ब्रेक दिया जाएगा। इससे कर्मचारियों को अधिक से अधिक फायदा होगा और कंपनियां किसी भी तरह के कर्मचारियों का शोषण ना कर पाएं।

नया लेबर कोड लागू होने के बाद अगर आप अपनी शिफ्ट से 15 से 30 मिनट अधिक काम करेंगे तो उसे 30 मिनट गिनकर उसे ओवरटाइम में शामिल करने का प्रावधान है। यानी नए लेबर कोड में अगर प्रावधानों को स्वीकृति मिलती है तो आपको 15 मिनट भी अतिरिक्त काम करने पर ओवरटाइम मिलेगा। मौजूदा नियमों में 30 मिनट तक के काम को ओवरटाइम में नहीं गिना जाता है। सवाल ये है कि ओवरटाइम कितना होगा? आपकी सैलरी के हिसाब से 30 मिनट यानी आधे घंटे की सैलरी का कैल्कुलेशन किया जाएगा और आपको दिया जाएगा।

पीएफ की गणना मूल वेतन के फीसदी के आधार पर की जाती है जिसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता शामिल रहता है। ऐसे में अगर किसी कर्मचारी वेतन 50 हजार रुपये प्रति माह है तो उसका मूल वेतन 25 हजार रुपये हो जाएगा और बाकी के 25 हजार रुपये में भत्ते शामिल होंगे। मूल वेतन बढ़ने से कर्मचारी की ओर से पीएफ ज्यादा कटेगा और कंपनी का अंशदान भी बढ़ेगा। नए नियमों के मुताबिक किसी भी कर्मचारी के वेतन में मूल सैलरी यानी बेसिक सैलरी का हिस्सा 50 फीसदी तक हो जाएगा और बाकी का 50 फीसदी तमाम तरह के अलाउंस होंगे। मौजूदा समय में कंपनियां 25-30 फीसदी ही बेसिक सैलरी का हिस्सा रखती है। ऐसे में तमाम तरह के अलाउंस 70-75 फीसदी तक होते है।

ग्रेच्युटी और पीएफ की गणना लगभग एक ही तरह होती है। ग्रेच्युटी में 15 दिन की बेसिक सैलरी कटती है। तो अगर आपकी महीने की बेसिक सैलरी 10000 रुपये है तो आपकी ग्रेच्युटी 5000 रुपये कटेगी। अगर आपकी कंपनी ने बेसिक सैलरी आपकी सीटीसी का 25 फीसदी रखा है तो नया वेज कोड लागू होने के बाद बेसिक सैलरी दोगुनी हो जाएगी और ग्रेच्युटी में कटौती भी दोगुनी हो जाएगी।

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