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रक्षा मंत्री ने कहा, भारत में बने सामान ही इस्तेमाल करेगी हमारी सेना


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नई दिल्ली – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि भारत ने अमेरिका, रूस, फ्रांस और अपने कई सहयोगी देशों को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि कई सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा आवश्यक सैन्य मंच (प्लेटफॉर्म) और उपकरण देश में निर्मित किए जाने हैं। क्षेत्रीय भू-राजनीतिक घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि ईश्वर ने भारत को कुछ ऐसे पड़ोसी दिए हैं जो इसकी वृद्धि को देखकर अच्छा महसूस नहीं करते हैं और जो विभाजन से पैदा हुआ वह भारत के विकास की चिंता में कमजोर होता जा रहा है। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका, रूस और फ्रांस सहित दुनिया के ज्यादातर देश भारत के मित्र हैं।

सैन्य उपकरण बनाने वाले देशों को संदेश दिया गया है कि ”कम मेक इन इंडिया, कम मेक फॉर इंडिया और कम मेक फॉर द वर्ल्ड।” एक उदाहरण का हवाला देते हुए सिंह ने कहा कि शुक्रवार को फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली के साथ बातचीत के बाद यह सहमति बनी थी कि एक प्रमुख फ्रांसीसी कंपनी रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत एक भारतीय कंपनी के साथ हाथ मिलाकर भारत में ”एक इंजन” का उत्पादन करेगी। हालांकि उन्होंने इस संबंध में विस्तार से नहीं बताया। सिंह ने कहा कि भारत इन देशों के साथ दोस्ती बनाए रखेगा लेकिन साथ ही भारतीय धरती पर प्रमुख ‘प्लेटफार्म’ के उत्पादन पर जोर देने से नहीं हिचकिचाएगा। उन्होंने कहा, ”हम दोस्ती बनाए रखेंगे लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दें कि जो भी सैन्य उपकरण, हथियार और गोला-बारूद की जरूरत है, वह भारत में उत्पादित किया जाना है।”

रक्षा मंत्री ने निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के बीच ”निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा” की आवश्यकता के बारे में भी बात की और 200 साल से अधिक पुराने आयुध निर्माणी बोर्ड के निगमीकरण को स्वतंत्रता के बाद रक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार बताया। उन्होंने कहा, ”वर्तमान में भारत का रक्षा और एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार 85,000 करोड़ रुपये का है। मेरा मानना है कि 2022 में यह बढ़कर एक लाख करोड़ हो जाएगा।” सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में घरेलू रक्षा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।

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