नई दिल्ली – नासा के अंतरिक्षयान द पार्कर सोलर प्रोब ने पहली बार सूरज का ‘स्पर्श’ किया है। इस प्रोब ने अब तक अनछुए रह चुके सूरज के वातावरण (कोरोना) में गोता लगाया। नासा के वैज्ञानिकों ने गुरुवार को अमेरिकी जिओफिजिकल यूनियन की बैठक के दौरान इस शानदार उपलब्धि का ऐलान किया। दरअसल, पार्कर सोलर प्रोब अप्रैल महीने में सूरज के पास से अपनी 8वीं यात्रा के दौरान कोरोना से होकर गुजरा था।
पार्कर सोलर प्रोब अप्रैल में सूर्य के साथ अपने सातवें संक्षिप्त दृष्टिकोण के दौरान कोरोना में बढ़ गया। शोधकर्ताओं के अनुसार, निष्कर्षों को इकट्ठा होने में कुछ महीने लगे और फिर पुष्टि होने में कुछ महीने और लग गए। पार्कर सूर्य के केंद्र से 8 मिलियन मील (13 मिलियन किलोमीटर) दूर था, जब उसने पहली बार आकाशीय क्षेत्र और बाहरी ऊर्जावान कणों के बीच की खुरदरी, अनियमित सीमा को पार किया।
वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्हें इस प्रोब से मिले आंकड़ों को पाने में कई महीने लग गए और इसके बाद कई महीने इसकी पुष्टि करने में लग गए। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के इस प्रॉजेक्ट के वैज्ञानिक नोउर रावउफी ने कहा, ‘यह दिलचस्प और रोचक है।’ इस प्रोब को साल 2018 में भेजा गया था। पार्कर ने जब पहली बार सौर वातावरण और आने वाली सौर हवाओं को पार किया था, उस समय वह सूरज के केंद्र से 1 करोड़ 30 लाख किलोमीटर की दूरी पर था।
कास्पर ने कहा कि सूरज का कोरोना जितना अपेक्षा थी, उससे ज्यादा धूल से भरा हुआ था। भविष्य में और ज्यादा कोरोना अभियान वैज्ञानिकों को सौर हवाओं की उत्पत्ति के बारे में समझ विकसित करने में मदद करेंगे। साथ ही यह भी पता चलेगा कि कैसे यह गर्म होती है और अंतरिक्ष में कैसे बढ़ती है। चूंकि सूरज की कोई ठोस सतह नहीं होती है, इसलिए कोरोना वहां होता है जहां ऐक्शन होता है।
प्राथमिक आंकड़ों से पता चला है कि पार्कर अगस्त महीने में अपनी नौंवी यात्रा के दौरान कोरोना के अंदर चला गया लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी और ज्यादा विश्लेषण की जरूरत है। पार्कर ने पिछले महीने ही सूरज के नजदीक अपनी 10वीं यात्रा को पूरा किया है। पार्कर अभी आगे भी लगातार सूरज के नजदीक जाता रहेगा और साल 2025 में उसकी कक्षा में प्रवेश करेगा।