नई दिल्ली – कोरोना वायरस संक्रमण के कारण जान गंवाने वालों के परिजनों को 50,000 रुपए का मुआवजा देने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात और महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत ने योजना और आवेदन प्रक्रिया के बारे में प्रचार करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं करने के लिए फटकार लगाई है.
अदालत ने यह भी कहा था कि संबंधित जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण या जिला प्रशासन में कोरोना वायरस के कारण मृत्यु के प्रमाणपत्र और कारण ‘कोविड-19 की वजह से मृत्यु’ प्रमाणित किए जाने के साथ आवेदन करने की तारीख से 30 दिन के अंदर अनुग्रह राशि दी जानी होती है. न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए मामला आया था. पीठ ने अपने आदेश में कहा था, ’29 अक्टूबर, 2021 की अधिसूचना देखने के बाद हमें लगता है कि यह इस अदालत द्वारा चार अक्टूबर, 2021 के एक आदेश में जारी निर्देशों के बिल्कुल विपरीत हैं.’
सुप्रीम कोर्ट ने अनुग्रह राशि देने के संबंध में दिए गए उसके निर्देशों के विपरीत अधिसूचना जारी करने पर 15 नवंबर को गुजरात सरकार से अप्रसन्नता जताई थी. शीर्ष अदालत ने चार अक्टूबर को कहा था कि कोविड-19 से मृत किसी व्यक्ति के परिजन को 50,000 रुपए का मुआवजा देने से कोई भी सरकार केवल इस आधार पर मना नहीं करेगी कि मृत्यु प्रमाणपत्र में कारण में वायरस का उल्लेख नहीं है.