वॉशिंगटन – अक्सर हम ज्यादा पैसे कमाने के लिए और बेहतर लिफ्श्टीले पाने के लिए विदेश में जाकर नौकरी करना पसंद करते है। विदेश से अपने देश में पैसे भेजने के मामले में भारतीय एक बार फिर सबसे आगे है। वाशिंगटन स्थित विश्व बैंक ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट जारी की।
विश्वबैंक की ‘ माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ’ रिपोर्ट के नवीन संस्करण के मुताबिक, अपने देश पैसा भेजने में चीन के लोग भारत के बाद दूसरे पायदान पर है। धन प्रेषण के मामले में दुनिया के सबसे बड़े प्राप्तकर्ता भारत में 2021 में विदेशों से 87 अरब डॉलर भेजे गए, जिसमें से 20 प्रतिशत से अधिक निधि अमेरिका से भेजे गए। भारत में सबसे अधिक धन अमेरिका से भेजे गए। भारत के बाद अपने देश पैसा भेजने में चीन, मैक्सिको, फिलीपींस और मिस्र का स्थान है। भारत एक बार फिर पहले पायदान पर रहने में कामयाब रहा है।
रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक प्रेषण के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता भारत में धन प्रवाह 4.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 87 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। भारत में विदेशों से 2020 में 83 अरब डॉलर से अधिक धन भेजे गए थे। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में प्रेषण 7.3 प्रतिशत बढ़कर 2021 में 589 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह पहले के अनुमानों की तुलना में अधिक है। यह राशि सालाना प्रत्यक्ष विदेशी निवश के औसत 60 अरब डॉलर से अधिक है।
बता दे की भारत में सबसे अधिक धन अमेरिका से भेजे गए है। इसके पहले भारत में धन भेजने वाले देशों में अरब देशों का स्थान था। वहां रह रहे भारतीय सबसे अधिक पैसा अपने देश भेजते थे। कोरोना संकट के बाद उनमें से ज्यादातर भारत वापस आ चुके है। इसकी वजह है वहां से पैसा भेजने में कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में धन प्रेषण 2022 में तीन प्रतिशत बढ़कर 89.6 अरब डॉलर होने का अनुमान है, क्योंकि अरब देशों से लौटने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा वापसी का इंतजार कर रहा है।
विश्व बैंक एक विशिष्ट संस्था है। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निमाण और विकास के कार्यों में आर्थिक सहायता देना है। विश्व बैंक समूह पाँच अन्तर राष्ट्रीय संगठनों का एक ऐसा समूह है जो सदश्य देशों को वित्त और वित्तीय सलाह देता है। विश्व बैंक नीति सुधार कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिये ऋण देता है, जबकि अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष केवल नीति सुधार कार्यक्रमों के लिये ही ऋण देता है। इन दोनों संस्थाओं में एक अंतर यह भी है कि विश्व बैंक केवल विकासशील देशों को ऋण देता है, जबकि अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के संसाधनों का इस्तेमाल निर्धन राष्ट्रों के साथ-साथ धनी देश भी कर सकते है।