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विज्ञान

अद्भुत खगोलीय घटना!! पूरे महीने आसमान में होगी सितारों की बारिश


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नई दिल्ली – अगर आप भी उन लोगों में से है जो आसमान में टूटता तारा देख अपनी आंख बंद कर मन्नतों (विश) का झोला खोल लेते है, तो आने वाले कुछ दिन आपकी ‘मांगे’ कम पड़ सकती हैं लेकिन तारे टूटने का सिलसिला नहीं खत्म होगा। इस पुरे महीने में आज से आसमान में अद्भुत खगोलीय घटना होने जा रही है।

जिसे हम बचपन से टूटा हुआ तारा मानते आए हैं वो दरअसल, छोटे-छोटो उल्कापिंड होते हैं जो हमारी पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर आग का गोला बन जाते हैं। यही चमकती हुई चीज हमें आसमान में किसी टूटे हुए तारे की तरह प्रतीत होती है। आपको जानकर हैरानी होगी की आज रात से आने वाले कुछ दिनों तक आपको लगातार आसमान में ऐसे विचित्र घटना रोज देखने को मिल सकती है।

अंतरिक्षप्रेमियों के लिए यह पूरा ही हफ्ता बहुत ही शानदार होने जा रहा है। गत 6 नवंबर को शुरू हुई उल्‍कापिंडों की बारिश 16 और 17 नवंबर को अपने पूरे शबाब पर होने जा रही है। यही नहीं उल्‍कापिंडों की यह बारिश 30 नवंबर तक जारी रहेगी। वैज्ञानिकों के मुताबिक हमारी धरती 17 नवंबर को उल्‍कापिंडों के सबसे घने हिस्‍से से गुजरने जा रही है। ऐस्ट्रोनॉमर्स और स्काईवॉचर्स के लिए 17 नवंबर की रात से लेकर 19 नवंबर तक आसमान का नजारा दिल थाम देने वाला होगा। दरअसल, इस महीने दो-दो Meteor Shower यानी उल्कापिंडों की बारिश होनी है जिसमें से एक Leonid Meteor Shower इन दिनों होने वाला है। आसमान से टूटकर गिरते तारे जो अद्भुत नजारे बनाने वाले है।

Leonid नवंबर के पहले ही हफ्ते में सक्रिय हो गए है। यह Comet 55P/Tempel-Tuttle से आते है और सदियों से बड़ी संख्या में टूटते तारे इस दौरान आसमान रोशन करते हैं। कई बार एक घंटे में सैकड़ों तारे देखे जा सकते है। यह कॉमेट सूरज का एक चक्‍कर लगाने में 33 साल लेता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कहना है कि हर घंटे धरती की ओर 15 उल्‍कापिंड आ सकते है। किसी किसी उल्‍कापिंड की रफ्तार 71 किमी प्रति सेकंड हो सकती है। इन उल्‍कापिंडों का रंग बहुत चमकदार होता है और इसी वजह से आकाश में दीपावली जैसा नजारा देखने को मिलता है। कई बार एक घंटे में सैकड़ों तारे देखे जा सकते है। हालांकि, अमेरिकन मीटियर सोसायटी (AMS) का कहना है कि ऐसा मुश्किल है कि ऐसी भारी बारिश हमें अपने जीवन में देखने को मिलें। हो सकता है कि साल 2030 में ऐसी बारिश मिले।

‘पर्सिड्स उल्का बौछार’ के दौरान अंतरिक्ष में मौजूद धूल के कण से लेकर एक छोटे-छोटे पत्थर के बराबर उल्कापिंड धरती के वायुमंडल में प्रवेश करेंगे और जमीन को छूने से पहले ही आसमान में जलकर खाक हो जाएंगे। धूल, पत्थर और बर्फ से बने ये टुकड़े वायुमंडल से घर्षण के कारण आग के गोलों में बदल जाएंगे, जो हमें नंगी आंखों से टूटे हुए तारों की तरह दिखाई देंगे। इनकी तेज रोशनी जरूर आपका ध्यान खींचेगी। नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक आज से एक सप्ताह तक उत्तरी गोलार्ध से पूरे आकाश में उल्का बौछार देखी जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि आकाश में इन अद्भुत आग के गोले को देखने का सबसे अच्छा समय सुबह का होगा, लेकिन ये शो रात 10 बजे से शुरू हो सकता है। जो उल्का बौछार को पहली बार देखने की तैयारी कर रहे हैं उन्हें इसे देखने के लिए दूरबीन या लेंस की आवश्यकता नहीं होगी।

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