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जानिये इस साल तुलसी विवाह के दिन के शुभ मुहूर्त और महत्त्व


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मुंबई – भारत पहले से कई विविधताओं से भरा हुआ देश है। भारत में अलग-अलग धर्म के लोग एकदूसरे के साथ मिल जुलकर रहते है। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इसे देवउठनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु के शालीग्राम अवतार के विवाह का विधान है।

तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए अगर किसी ने कन्या दान न किया हो तो उसे जीवन में एक बार तुलसी विवाह करके कन्या दान पुण्य अवश्य प्राप्त करना चाहिए। तुलसी विवाह विधि-विधान से संपन्न कराने वाले भक्तों को अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा से मनोकामना पूरी होती है। वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलने की भी मान्यता है।

इसी दिन भगवान श्री हरि विष्णु चार महा की लंबी अपनी योगनिद्रा से जाग्रत होते है। देवी तुलसी भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जागने के बाद भगवान विष्णु सर्वप्रथम हरिवल्लभा यानि तुलसी की पुकार सुनते है। तुलसी विवाह के साथ ही विवाह के शुभ मुहुर्त भी शुरु हो जाते है। शास्त्रों के अनुसार, चातुर्मास के दौरान सभी मांगलिक कार्यों की मनाही होती है और देवउठनी एकादशी के दिन चातुर्मास खत्म होने के साथ सभी शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है।

इस साल एकादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी। तुलसी विवाह 15 नवंबर, दिन सोमवार को किया जाएगा। द्वादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 16 नवंबर को सुबह 08 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर्षण योग 15 नवंबर की देर रात 1 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए हर्षण योग को उत्तम माना जाता है।

तुलसी स्तुति मंत्र :
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

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