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आप भी करेले की खेती करके बन सकते है लखपति


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नई दिल्ली – लोग धनवान बनने के लिए क्या कुछ नहीं करते। अगर आप भी लखपति बनना चाहते है तो हम यहाँ पर आपके लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आये है। अगर आप किसान है और अपनी फसल की अच्छी कीमत पाकर धनवान बनना चाहते है तो अपने खेतर में करेले की खेती करके मालामाल बन सकते है।

करेला एक ऐसी सब्जी है जिसकी डिमांड हमेशा बाज़ारों में रहती है। इसिलए किसान कम समय में और कम जगहों पर इसकी खेती कर अच्छा आमदनी प्राप्त कर सकते हैं.करेला की खेती पुरे भारत में की जाती है। महाराष्ट्र में लगभग 453 हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है। यह बेल पर लगने वाली सब्जी होती है। इसकी सब्जी की विदेशों और बड़े शहरों में हमेशा मांग रहती है। करेला एक अनोखा कड़वा स्वाद वाला सब्जी है। इसके साथ ही इसमें अच्छे औषधीय गुण भी पाये जाते है। इसके फलों में विटामिन और खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाये जाते है।

करेले में बहुत से औषधीय गुण होते हैं। इसमें विटामिन और खनिज पदार्थ भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसे खाने के पाचन ठीक रहता है और पेट के सभी रोग दूर होते हैं। इसका जूस पीने से लीवर मजबूत होता है और पीलिया जैसी बीमारियों में भी इसका लाभ मिलता है। वहीं करेला इम्युनिटी पावर भी बढ़ाने का काम करता है। करेला बहुत ही कड़वा होता है, जिससे खून साफ होता है। किडनी और दिल से जुड़ी बीमारियों में भी करेले के सेवन से काफी फायदा होता है। इसके इतने सारे फायदों की वजह से ही इसकी खूब मांग होती है और इसी वजह से करेला अच्छे दाम पर बिकता है।

करेले की खेती आमतौर पर मचान बनाकर की जाती है। मचान का मतलब है तारों या लकड़ियों की मदद से कुछ खंभों के ऊपर एक छत जैसी संरचना बना देना। एक एकड़ में करेले की खेती करने में बीज, उर्वरक, मचान बनाने आदि में करीब 40 हजार रुपये का खर्च आ जाता है यानी एक हेक्टेयर की खेती में आपको 1 लाख रुपये के करीब खर्च करने होंगे। वहीं एक एकड़ से करीब 1.5 लाख रुपये तक का मुनाफा होता है यानी एक हेक्टेयर से आप करीब 4-5 लाख रुपये कमा सकते हैं। साल में दो बार खेती का मतलब हुआ कि आप 8-10 लाख रुपये कमा सकेंगे। करेले 20-30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बाजार में बिक जाते है।

करेले की खेती 20-40 डिग्री के बीच के तापमान में होती है। इसकी खेती से पहले खेत को अच्छे से जोत लेना चाहिए और गोबर की खाद भी डालनी चाहिए। इसकी बुआई करीब 1-1 मीटर की दूर पर की जाती है। खेत में बुआई के बाद मचान बना दिया जाता है। इसकी गर्मी की फसल की बुआई जनवरी से मार्च के बीच की जाती है, वहीं बारिश की फसल की बुआई जून से जुलाई के बीच कर ली जाती है।

रोपण अच्छी जल निकासी वाली भारी से मध्यम मिट्टी में किया जाना चाहिए इन फसलों को दोमट या दोमट मिट्टी में नहीं उगाना चाहिए। करेले के उत्पादन के लिए नदी के किनारे जलोढ़ मिट्टी भी अच्छी होती है। जमीन को लंबवत और क्षैतिज रूप से जोतकर और खरपतवार और घास के टुकड़ों को हटाकर खेत को साफ करना चाहिए। फिर प्रति हेक्टेयर 100 से 150 क्विंटल खाद या कम्पोस्ट डालें। खाद को मिट्टी में अच्छी तरह मिला लें। इसकी रोपाई के लिए दो पंक्तियों में 1.5 से 2 मीटर और दो लताओं में 60 सेमी की दूरी होनी चाहिए। दौड़ने के लिए, दो पंक्तियों में 2.5 से 3.5 मीटर की दूरी पर दो पंक्तियों में 80 से 120 सेमी की दूरी रखी जाती है। प्रत्येक स्थान पर 2 से 3 बीज रोपें। बीज टोकन को दोनों फसलों में नम मिट्टी में लगाना चाहिए। बीजों को कांख में बोया जाता है। अंकुरित होने तक बीटा पानी दें।

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