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टेक्नोलॉजी

आपने कभी सोचा ! कहां जाती हैं इलेक्ट्रिक वाहनों से निकलने वाली बैटरियां?


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नई दिल्ली – मौजूदा वक्त में सभी वाहन उसी बैटरी पर चल रहे हैं जिस बैटरी का इस्तेमाल हमारे लैपटॉप-टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है. इन बैटरी को लीथियम आयन बैटरी (lithium ion cell) कहा जाता है. चार पहिया वाहनों में लगी इन बैटरियों को 200-250 किमी के सफर के बाद चार्ज करना पड़ता है. इलेक्ट्रिक गाड़ियों में बेहतरीन किस्म की बैटरियों की जरूरत पड़ती है. बैटरी कमजोर होने की स्थिति में गाड़ी बीच रास्ते में धोखा दे सकती है. ऐसे में गाड़ियों की बैटरी अगर अपनी उच्च परफॉर्मेंस स्तर से 70-80 फीसदी तक आउटपुट देने लगे तो उसे बदलना पड़ता है. आमतौर पर आठ से 10 साल तक गाड़ियों के चलने के बाद उसमें लगी बैटरियों का परफॉर्मेंस कम हो जाता है और उन्हें बदलने की जरूरत पड़ती है.

गाड़ियों से निकाली गई बैटरियों को निपटाने का तीन तरीका मौजूद है. इसे या तो खुली जगह पर फेंक दीजिए या इसे तोड़कर इसमें से उपयोगी चीजें निकाल लें, या फिर इसे फिर से इस्तेमाल करने योग्य बना लिया जाए. लेकिन खुले में इन बैटरियों को फेंकना उचित नहीं है क्यों इससे तमाम ऐसी चीजें होती हैं जो मिट्टी को प्रदूषित करती हैं. इसका एक अच्छा तरीका यह है कि गाड़ियों से निकाली गई बैटरियां काफी पावरफुल होती हैं. उनका इस्तेमाल घर में रखी गईं इलेक्ट्रॉनिक चीजों में किया जा सकता है.

देश और दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों से निकाली गई बैटरियों को रिसाइकिल करने का उद्योग अभी बहुत छोटा है. लेकिन जिस से इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ रही है उसे देखते हुए आने वाले समय में इसकी जरूरत बढ़ेगी. अभी दुनिया में 2010 से 2020 के बीच करीब एक करोड़ इलेक्ट्रिक वाहन हैं जिसके इस दशक के अंत तक बढ़कर 25 करोड़ तक पहुंचने की उम्मदी है. ऐसा अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) का कहना है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या जितनी बढ़ेगी उतनी ही बेकार हो चुकी बैटरियां निकलेंगी.

बीते साल भारत सरकार ने देश में लीथियम आयन बैटरियों के उत्पादन के लिए 18 हजार करोड़ के परफॉर्मेंस लिंक इंसेंटिव की घोषणा की थी. उन वक्त जानकारों ने कहा था कि भारत सरकार इन बैटरियों की पूरी मांग को पूर्ति आयात के जरिए पूरा कर रहा है. इन बैटरियों के लिए कच्चे माल का सबसे अधिक आयात चीन से होता है. ऐसे भारत भविष्य में बैटरी वाहनों की मांग को देखते हुए रिसाइक्लिंग में बढ़त हासिल कर सकता है. चीन पहले ही लीथियम आयन बैटरियों क रिसाइक्लिंग में काफी आगे निकल गया है.

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