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NSA अजित डोभाल अफगान पर करेंगे ‘इन’ देशो के NSA के साथ अहम बैठक


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नई दिल्ली – हमेशा से भारत अपने पडोशी देशो के साथ अपने अंतर्राष्ट्रीय संबंधो में सुधार आ सके उसके लिए सबसे आगे रहता है। हालही में अफगानिस्तान में शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारत ‘अफगानिस्तान पर दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता’ का आयोजन कर रहा है। जिसकी अध्यक्षता भारत के NSA अजित डोभाल करेंगे।

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 10 नवंबर को NSA की इस महत्वपूर्ण बैठक की मेजबानी करेंगे। जिसमें अफगानिस्तान के भविष्य पर चर्चा होगी। साथ ही वहां के सत्ता परिवर्तन से पैदा हुए हालात और सुरक्षा के खतरों से कैसे निपटा जाए इस पर भी विचार-मंथन होगा। इस वार्ता से पहले कल यानी मंगलवार को उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। बता दे की भारत द्वारा आयोजित अफगानिस्तान पर अपनी तरह की पहली क्षेत्रीय वार्ता में भाग लेने के लिए रूस, ईरान और सभी पांच मध्य एशियाई देशों के सात सुरक्षा अधिकारी मंगलवार को दिल्ली पहुंचेंगे। पांच मध्य एशियाई देशों (ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, और तुर्कमेनिस्तान) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अलावा रूस और ईरान भी अफगानिस्तान पर दिल्ली में आयोजित बैठक में भाग लेगा।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल के मास्को में अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के उप प्रधान मंत्री अब्दुल सलाम हनफी के नेतृत्व में तालिबान मिशन से मिलने के दो सप्ताह बाद यह बैठक हो रही है। जिसमें संकट में फंसे इस देश को पर्याप्त मानवीय सहायता देने की बात कही गई थी। इस तरह की दो बैठकें सितंबर 2018 और दिसंबर 2019 में ईरान में पहले ही हो चुकी है। तीसरी बैठक कोरोना महामारी के कारण भारत में नहीं हो सकी थी।

भारत ने पाकिस्तान और चीन को आमंत्रित किया था। हालांकि, दोनों देशों ने इससे किनारा कर लिया है। चीन ने शेड्यूलिंग मुद्दों का हवाला दिया और बताया कि वह बहुपक्षीय और द्विपक्षीय स्तरों पर अफगानिस्तान पर भारत के साथ बातचीत के लिए तैयार है। चीन ने ईरान द्वारा आयोजित पिछली बैठकों और हाल ही में ब्रिक्स बैठक में भी भाग लिया। भारत सात अन्य देशों के साथ अफगानिस्तान और उसके आसपास से उत्पन्न होने वाले आतंकवादी खतरों पर विस्तार से चर्चा करेगा। इन देशों में कई हॉटहेड प्रभावित हो सकते है और वहां उनके समाजों में विचारधारा का निर्यात या फैलाव हो सकता है। इसके अलावा मादक पदार्थों की तस्करी, संयुक्त राज्य द्वारा छोड़े गए विशाल हथियारों का उपयोग चिंता का एक और कारण है। पाकिस्तान इन तमात मुद्दों से बेखबर है और तालिबान सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रहा है।

भारत ने पिछले दो दशकों में अफगानिस्तान में करीब तीन अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक खर्च कर उसके पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहां तक ​​कि तालिबान ने भी भारत के इस योगदान को स्वीकार किया है। काबुल पर तालिबानी कब्जे के बाद चाहे जी20 शिखर सम्मेलन हो, ब्रिक्स हो या फिर द्विपक्षीय चर्चा, अफगानिस्तान के मुद्दे को लेकर भारत प्रमुखता से बोल रहा है।

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