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चुनाव आयोग ने उपचुनाव वाले क्षेत्रों में होने वाले चुनाव के लिए जारी किये दिशा-निर्देश


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नई दिल्ली – आगामी 30 अक्टूबर को जिन लोकसभा और विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे है। आयोग के मुताबिक उपचुनाव क्षेत्रों के करीबी जिलों व चुनाव क्षेत्रों में उपचुनाव से सीधी जुड़ी कोई राजनीतिक गतिविधियां न की जाएं। आदर्श आचार संहिता का कड़ाई से पालन किया जाए।

आयोग ने कहा कि उसके संज्ञान में लाया गया है कि कुछ राजनीतिक दल/उम्मीदवार उस जिले/निर्वाचन क्षेत्र से सटे इलाकों में चुनावी गतिविधियों का आयोजन कर रहे हैं, जहां उपचुनाव हो रहे है। इस संबंध में सभी राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे उप-चुनावों से सीधे तौर पर संबंधित किसी भी राजनीतिक गतिविधि का आयोजन न करें, यहां तक कि जिले/निर्वाचन क्षेत्र से सटे इलाकों में भी नहीं, जहां उपचुनाव हो रहे है। उल्लेखनीय है विभिन्न राज्यों में फैली तीन लोकसभा सीटों और 30 विधानसभा क्षेत्रों के लिए उपचुनाव 30 अक्टूबर को होंगे। मतों की गिनती दो नवंबर को होगी।

यदि उपचुनाव क्षेत्र किसी राज्य की राजधानी या महानगर या नगर निगम क्षेत्र में आता है तो आदर्श आचार संहिता सिर्फ संबंधित क्षेत्र तक ही सीमित रहेगी। इनके अलावा बाकी सभी उपचुनाव क्षेत्रों में समूचे जिले में आचार संहिता लागू रहेगी। इन निर्देशों का मकसद यह है कि विकास व प्रशासनिक कार्य पर आचार संहिता का असर न हो और उपचुनाव का प्रचार सिर्फ संबंधित क्षेत्र तक ही सीमित रहे। लेकिन ऐसी स्थितियां भी बनी है, जिनमें मौजूदा उपचुनाव की गतिविधियां संबंधित संसदीय या विधानसभा क्षेत्र के बाहर भी हो रही है। संबंधित जिला चुनाव अधिकारी ऐसे मामलों में सभी आवश्यक कार्रवाई करेंगे और दिशानिर्देशों को कड़ाई से पालन कराएंगे। आगामी 30 अक्टूबर को अलग अलग राज्यों की तीन लोकसभा सीटों और 30 विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होना है। हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट, मध्य प्रदेश की खंडवा और दादरा एवं नगर हवेली व दमन दीव लोकसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है।

भारत निर्वाचन आयोग एक स्वायत्त एवं अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से विभिन्न से भारत के प्रातिनिधिक संस्थानों में प्रतिनिधि चुनने के लिए किया गया था। भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गयी थी। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है। मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या आयु 65 साल, जो पहले हो, का होता है जबकि अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष या आयु 62 साल, जो पहले हो, का होता हैं। चुनाव आयुक्त का सम्मान और वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के सामान होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के जरिए ही हटाया जा सकता है। भारत निर्वाचन आयोग के पास विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति आदि चुनाव से सम्बंधित सत्ता होती है जबकि ग्रामपंचायत, नगरपालिका, महानगर परिषद् और तहसील एवं जिला परिषद् के चुनाव की सत्ता सम्बंधित राज्य निर्वाचन आयोग के पास होती है।

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