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टेक्नोलॉजी

सोशल मीडिया एप्प Facebook जल्द बदलने वाली है कंपनी का नाम


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वाशिंगटन – फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने हालही में Facebook के नाम बदलने को लेकर महत्वपूर्ण घोषणा की। सोशल मीडिया जाएंट फेसबुक (Facebook) अपना नाम बदलने पर विचार कर रही है। कंपनी अगले हफ्ते एक नए नाम के साथ खुद को री-ब्रांड कर सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) मार्क जुकरबर्ग 28 अक्टूबर को कंपनी की कनेक्ट कॉन्फ्रेंस में नाम बदलने पर चर्चा कर सकते है। कंपनी की रिब्रांडिंग को लेकर खबर इससे भी जल्दी आ सकती है।

रिपोर्ट के मुताबिक रीब्रांडिंग फेसबुक के ऑरिजनल ऐप और सर्विस की ब्रांडिंग में कोई बदलाव करके एक मूल कंपनी के तहत कई प्रोडक्ट्स में से एक के रूप में स्थान देगी, जो WhatsApp, Instagram और Oculus जैसे दूसरे ग्रुप्स की देखरेख करेगा। गूगल पहले से Alphabet इंक को पेरेंट कंपनी बनाकर इसी तरह का ढ़ांचा रखती है। रिब्रांडिंग के बाद फेसबुक का सोशल मीडिया ऐप एक पेरेंट कंपनी के तहत एक प्रोडक्ट बन जाएगा। इस पेरेंट कंपनी के अंदर दूसरे प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, Oculus आदि भी आएंगे।

CEO जुकरबर्ग ने कहा की फेसबुक के भविष्य के लिए मुख्य चीज मेटावर्स कॉन्सेप्ट है। यह एक आइडिया है, जिसके अंदर यूजर्स एक वर्चुअल दुनिया के अंदर जीएंगे, काम और एक्सरसाइज करेंगे। कंपनी का Oculus वर्चुअल रिएलिटी हैडसेट और सर्विस उसके विजन को पूरा करने में अहम हिस्सा है। जुकरबर्ग ने जुलाई में कहा था कि आने वाले सालों में, वे उम्मीद करते है कि लोग उन्हें प्राथमिक तौर पर एक सोशल मीडिया कंपनी के तौर पर देखने की जगह एक मेटावर्स कंपनी के तौर पर मानना शुरू करेंगे। बहुत से तरीकों में, मेटावर्स सोशल टेक्नोलॉजी का असली एक्सप्रेशन है।

मार्क जुकरबर्ग ने दुनिया के सामने जो रोड मैप रखा है उससे कुछ ही सालों में ऐसा होने लगेगा कि लोग अपने कमरे में बैठकर एक साथ कई जगहों पर अलग-अलग अवतार के जरिए अलग-अलग काम कर सकते है। इंटरनेट की इस नई दुनिया को मेटावर्स का नाम दिया गया है। मेटावर्स तकनीक का ऐसा ब्रह्मांड जिसमें आभासी तौर पर इंसान उन जगहों पर मौजूद हो सकता है, जिसे वर्चुअल एंड ऑगमेंटेड रियलिटी यानी संवर्धित वास्तविकता के जरिए हासिल किया जा सके। वैसे तो वीडियो गेम्स में इस तर्ज पर काफी काम हो चुका है, लेकिन सोशल मीडिया के जरिए आम लोगों की दुनिया में इसके दाखिल होने की प्रक्रिया को लेकर काफी चर्चा हो रही है।

कंपनिया कई बार अपनी सेवाओं का विस्तार करने के लिए नाम बदल देती है। गूगल ने साल 2015 में होल्डिंग कंपनी के तौर पर अल्फाबेट इंक की शुरुआत की थी। इससे उसका मकसद अपने सर्च और एडवरटाइजिंग बिजनेस से आगे विस्तार करना था। कंपनी कई दूसरे वेंचर्स को देखना चाहती थी, जिससे वे सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल और हेल्थ टेक्नोलॉजी से लेकर दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को उपलब्ध कराने तक को देख सके।

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