बेंगलुरु – राजकीय पार्टियों में चुनाव नजदीक आते ही एकदूसरे की पार्टी के खिलाफ बोलना और आलोचना करना आम बात सी हो गयी है। लेकिन यहाँ तो हद ही पार हो गयी। कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें ‘अंगूठा छाप’ या अशिक्षित बता दिया। देश के प्रधानमंत्री पर ऐसी अभद्र टिपण्णी करना क्या ठीक है? आखिरकार वे देश के वड़ा है और सर्वोच्च पद पर बिराजमान है।
कर्नाटक (Karnataka) में उप चुनाव को लेकर जारी सियासी घमासान को कांग्रेस पार्टी के विवादित ट्वीट ने आग दे देने का काम किया है। प्रदेश की कांग्रेस इकाई ने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘अंगूठा छाप’ बताते हुए पार्टी द्वारा किए गए विकास कार्यों का गुणगान किया। कांग्रेस के इस ट्वीट पर पलटवार करते हुए बीजेपी ने भी करारा जवाब दिया है।
कन्नड़ भाषा में किए गए कर्नाटक कांग्रेस के ट्वीट में कहा की कांग्रेस ने स्कूल बनाए लेकिन मोदी कभी पढ़ने नहीं गए। यहां तक कि कांग्रेस ने वयस्कों के सीखने के लिए भी योजनाएं बनाईं लेकिन यहां भी मोदी नहीं सीख सके। जिन लोगों ने भीख मांगना प्रतिबंधित होने के बावजूद इसे चुना, उन्होंने आज लोगों को भीख मांगने के लिए मजबूर कर दिया है। देश #अंगूठाछाप मोदी (#angoothachhaap modi) के कारण कष्ट झेल रहा है।
इस ट्वीट के बाद कर्नाटक कांग्रेस के प्रवक्ता लावण्या बलाल ने ट्वीट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस्तेमाल की गई भाषा ठीक नहीं है, इसे लेकर जांच भी की जाएगी लेकिन, वह इसके लिए माफी नहीं मांगेंगी और ना ही इससे पीछे हटेंगी. हालांकि, बीजेपी ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। बीजेपी की राज्य प्रवक्ता मालविका अविनाश ने कहा कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस किस हद तक नीचे गिर गई है। ऐसी टिप्पणी जवाब देने लायक भी नहीं है।
सिंदगी और हंगाल विधानसभा के लिए उपचुनाव 30 अक्टूबर को होंगे। जेडीएस और कांग्रेस विधायक के इस्तीफे के कारण यह सीटें रिक्त हुई है। सत्तारूढ़ बीजेपी के लिए इस उपचुनाव में बहुत कुछ दांव पर लगा है क्योंकि सीएम बासवराजबोम्मई के सीएम पद संभालने के बाद यह राज्य में पहली कोई चुनाव हो रहे है। कर्णाटक राज्य के दो कांग्रेस नेता हाल ही में कर्नाटक पार्टी प्रमुख डीके शिवकुमार के कथित भ्रष्टाचार के बारे में बात करते हुए ‘माइक पर पकड़े’ गए थे.इसके बाद दो दिग्गज नेताओं सीएम बोम्मई और कांग्रेस नेता व पूर्व सीएम सिद्धारमैया के बीच ट्विटर पर जंग हुई थी। इस दौरान सिद्धारमैया ने बीजेपी को सांप्रदायिक पार्टी करार दिया था।