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जानिए आखिर क्यों मनाया जाता है विजयादशमी का पर्व


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मुंबई – भारतीय सनातन धर्म की परंपरा में पर्वों, नदियों और तीर्थ स्थलों का कफी महत्व है। इस वर्ष गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021 को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हुआ था। शारदीय नवरात्रों के 10वें दिन यानि विजयादशमी को इसका आयोजन होता है। इस बार यह पर्व रविवार यानी 25 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।

‘स्वर्गादपि गरीयसी‘ भारत भूमि में प्रत्येक आश्विन मास के शुक्ल पक्षीय दशमी तिथि को मनाया जाने वाला विजय दशमी का पर्व यहां के मुख्य पर्वों में से सर्वश्रेष्ठ है। श्री वाल्मीकीय रामायण, श्री रामचरितमानस, कालिका उप पुराण एवं अन्य अनेक धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भारतीय जनता के प्राण, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के साथ इस पर्व का गहरा संबंध है। विद्वानों के अनुसार श्री राम ने अपनी विजय यात्रा इसी तिथि को आरंभ की थी। इसलिए विजय यात्रा के लिए यह पर्व शास्त्र सम्मत माना जाता है।

नवरात्रि के खत्म होने बाद दशमी तिथि पर यह पर्व पूरे देश में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। दशहरे के दिन लोग अस्‍त्र शस्‍त्र की भी पूजा करते हैं और इसी के साथ दीवापली की तैयारी शुरू हो जाती है। दशहरा त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। वहीं, विजयादशमी पर देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरांत महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है, इसीलिए इस दशमी को ‘विजयादशमी’ के नाम से जाना जाता है।

दशहरे के दिन पीले रंग फूलों से भगवान का पूजन करना उनके प्रति समर्पण का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि गेंदे की गंध सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों को दूर करके तनाव को कम करती है। दशहरे के दिन रावण दहन के पश्चात घर लौटते समय शमी के पत्ते खरीदकर घर के बड़े-बुजुर्गों और रिश्तेदारों के पांव छूकर उन्हें शमी पत्ते देकर दशहरे की बधाई दी जाती है और उनसे विजयश्री का आशीष लिया जाता है।

दंत कथा के अनुसार असुरों के राजा महिषासुर ने अपनी शक्ति के बल पर देवताओं को पराजित कर इन्द्रलोक सहित पृथ्वी पर अपना अधिकार कर लिया था। भगवान ब्रह्रा के दिए वरदान के कारण किसी भी कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकते थे। ऐसे में त्रिदेवों सहित सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों से देवी दुर्गा की उत्पत्ति की। इसके बाद देवी ने महिषासुर के आंतक से सभी को मुक्त करवाया। मां की इस विजय को ही विजय दशमी के नाम से मनाया जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान 14 वर्षों के वनवास में थे तो लंकापति रावण ने उनकी पत्नी माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में बंदी बना कर रखा लिया था। श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण, भक्त हनुमान और वानर सेना के साथ रावण की सेना से लंका में ही पूरे नौ दिनों तक युद्ध लड़ा। मान्यता है कि उस समय प्रभु राम ने देवी मां की उपासना की थी और उनके आशीर्वाद से आश्विन मास की दशमी तिथि पर अहंकारी रावण का वध किया था।

दशहरा 2021 शुभ मुहूर्त :
अश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि का आरंभ गुरुवार, 14 अक्टूबर 2021 को शाम 6.52 मिनट से हो रहा है तथा शुक्रवार, 15 अक्टूबर 2021 शाम 06.02 मिनट पर दशमी तिथि समाप्त होगी। शुक्रवार, 15 अक्टूबर को पूजन का समय- दोपहर 02.02 मिनट से लेकर 2.48 मिनट तक रहेगा।

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