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आमने-सामने आ सकते हैं भारत और तालिबान, किस मसले पर होगी बात?


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नई दिल्ली – अफगानिस्तान मसले पर 20 अक्टूबर को रूस की राजधानी मॉस्को में होने वाली वार्ता में भारत के शामिल होने की उम्मीद है।माना जा रहा है कि रूस की राजधानी में यह बैठक औपचारिक रूप से नई दिल्ली को तालिबान के साथ आमने-सामने ला सकती है। अगर ऐसा होता है तो काबुल पर कब्जे के बाद भारत की तालिबान संग पहली औपचारिक बैठक होगी। 15 अगस्त को तालिबान द्वारा अशरफ गनी सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद से इस मॉस्को वार्ता का यह पहला संस्करण होगा। माना जा रहा है कि रूस की राजधानी में यह बैठक औपचारिक रूप से नई दिल्ली को तालिबान के साथ आमने-सामने ला सकती है। अगर ऐसा होता है तो काबुल पर कब्जे के बाद भारत की तालिबान संग पहली औपचारिक बैठक होगी।

रूस के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार, मास्को अफगानिस्तान में दाएश/आईएसआईएस की गतिविधियों से चिंतित है। वार्ता के मास्को प्रारूप में अफगानिस्तान में आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है। पिछले महीने यहां आयोजित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के नेतृत्व में अफगानिस्तान मसले पर पहली भारत-रूस उच्च स्तरीय तंत्र बैठक में यह मुद्दा प्रमुखता से उठा था। दोनों पक्षों ने अफगान में सुरक्षा खतरों पर निकटता से समन्वय करने का निर्णय लिया और अपनी खुफिया एजेंसियों और सेनाओं के बीच सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए थे।

अफगान अधिकारियों से रूसी राजनयिक मिशन और साथ ही अफगानिस्तान में रहने वाले रूसी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त उपाय करने का आह्वान करते हैं। बता दें कि आतंकी समूह ने काबुल में हाल ही में हुए एक हमले की जिम्मेदारी ली थी जिसमें कम से कम 20 लोग मारे गए थे। मास्को ने यह भी चेतावनी दी है कि ताजिक-अफगान सीमा पर तनाव बढ़ने की स्थिति में रूस “सबसे निर्णायक कार्रवाई” करेगा। रूस, जिसका ताजिकिस्तान के साथ सुरक्षा समझौता है, ने अफगानिस्तान से उत्पन्न होने वाले किसी भी सीमा पार खतरों को रोकने के लिए क्षेत्रीय सुरक्षा संगठन सीएसटीओ को फिर से सक्रिय कर दिया है।

तालिबान को मास्को ने बैठक में आमंत्रित किया है। हालांकि, तालिबान ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि बैठक में उनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा। यहां जानना जरूरी है कि तालिबान अब भी रूस में प्रतिबंधित है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान पर मास्को वार्ता का यह पहला संस्करण होगा। रूस ने काबुल में एक समावेशी सरकार के आह्वान के बीच इस वार्ता को जारी रखने का फैसला किया है।

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