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World Arthritis Day: जानिये क्या है अर्थराइटिस की बीमारी


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मुंबई – हर साल दुनियाभर में 12 अक्टूबर को विश्व गठिया दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का उदेश्य लोगों को इस बीमारी से अवेयर करना और इस बीमारी से बचाने की कोशिश करना है। इस दिन पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है, जिसमें वर्ल्ड अर्थराइटिस डे की थीम के अनुसार कार्यक्रमों की रूप रेखा रखी जाती है।

जोड़ों की बीमारी को हम अर्थराइटिस कहते है। इसे आम भाषा में गठिया भी कहा जाता है। बढ़ती उम्र के साथ ये बीमारी शरीर को घेरने लगती है। कमजोर होती हड्डियां और बढ़ता वजन अर्थराइटिस होने की प्रमुख वजहों में शामिल है। बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में दर्द की समस्या आम बात हो जाती है और अगर आपका वजन बढ़ गया हो तो उम्र से पहले भी अर्थराइटिस आप को अपना शिकार बना सकती है। अर्थराइटिस आमतौर पर बुज़ुर्गों में आम है, लेकिन यह किसी भी उम्र में लोगों को अपना शिकार बना सकती है। रुमेटीइड गठिया 20-40 वर्ष की आयु के लोगों में उपस्थित होता है। बढ़ती उम्र के साथ पैर की हड्डियां कमजोर हो जाती है और अर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है। समय से अगर अर्थराइटिस का इलाज किया जाए तो दर्द से राहत मिल सकती है।

जोड़ों में सभी तरह के दर्द का मतलब अर्थराइटिस नहीं है। जोड़ों में और उसके आसपास दर्द के कई संभावित कारण है, जिनमें टेंडिनाइटिस, बर्साइटिस और चोटें शामिल है। यह किसी भी इंसान के लिए तकलीफदेह बीमारी है क्योंकि इसमें असहनीय दर्द होता है और चलने फिरने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अगर आपको रह-रहकर घुटनों में, एड़ियों में या फिर पैर की उंगलियों में दर्द होता है, तो ये अलर्ट होने का समय है। आप के ब्लड में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ गई है। आपके हाथ पैरों के जोड़ों में क्रिस्टल की तरह ये डिपॉज़िट हो जाता है और इसी को अर्थराइटिस या फिर गठिया कहते है।

मोटापा या बढ़ता वजन कई सारी बीमारियों की जड़ है। अर्थराइटिस की बीमारी उन लोगों को अपना शिकार ज्यादा बनाती है जिनका वजन ज्यादा होता है। किसी का BMI (body mass index) ज्यादा हो तो घुटनों पर बुरा असर पड़ता है और जरूरत से ज्यादा वजन का बोझ शरीर पर पड़ने से अर्थराइटिस होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। अक्सर इस बीमारी का कोई इलाज नहीं होता है, लेकिन आर्थराइटिस के प्रकार के आधार पर इसका कोर्स अलग-अलग होता है। कई प्रकार के गठिया के लिए दवाएं उपलब्ध है, जो इस बीमारी के लक्षणों को कम करती है और इसकी प्रगति को धीमा करने में भी मदद कर सकती है। इसके अलावा लोग अपनी लाइफस्टाइल में भी कुछ बदलाव कर कुछ तरह के आर्थराइटिस की प्रगति को धीमा कर सकते है, जैसे सही वज़न बनाए रखना, स्मोकिंग छोड़ देना, हेल्दी डाइट लेना और अच्छी नींद लेना।

अर्थराइटिस होने के कई कारण है लेकिन ये उन लोगों में ज्यादा है जिनकी लाइफस्टाइल अस्त वस्त होती है। जंक फूड खाने वाले लोगों में इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा वो लोग जिनका वजन ज्यादा है और जो बिल्कुल एक्सरसाइज नहीं करते है उनमें भी अर्थराइटिस होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। आर्थराइटिस की सबसे बड़ी वजह मोटापा है, इसलिए अगर इस बीमारी से बचना है तो वजन पर कंट्रोल करें। इसके अलावा डाइट में फैट और कार्बोहाइड्रेट की क्वांटिटी कम कर दें। व्यायाम आमतौर पर एक ऐसी गतिविधि नहीं है जिससे गठिया से पीड़ित लोगों को बचना चाहिए, हालांकि उन्हें वर्कआउट शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। व्यायाम जोड़ों में गति और शक्ति की सीमा को बनाए रखने में मदद कर सकता है। गठिया होने पर भी एक्सरसाइज़ करनी चाहिए। जिन लोगों को अर्थराइटिस है और वे रोज़ाना एक्सरसाइज़ करते है, तो उन्हें दर्द कम होता है, ऊर्जा ज़्यादा होती है, बेहतर नींद आती है।

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